Lohri is a Punjabi festival of celebration Northern India with Bhangra dance and by warming oneself by fire

Lohri 2025: लोहड़ी का पर्व सर्दियों के अंत और रबी की फसल की कटाई के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. लोहड़ी का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह कृषि समाज की मेहनत, एकता और खुशहाली का भी उत्सव है. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है. इसलिए इसकी डेट को लेकर कोई भ्रम नहीं है.

ज्योतिषाचार्य के अनुसार 13 जनवरी 2025 को लोहड़ी मनाई जाएगी. इस बार मकर सक्रांति 14 जनवरी 2025 (Makar Sankranti) को मनाई जाएगी. इस दिन रात के समय सभी लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं और आग जलाते हैं. हर साल लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है. पंजाबी समुदाय के लोग इस त्योहार को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. लोहड़ी के शुभ अवसर पर लोग एक-दूसरे को मिठाइयां भेंट करते हैं और शुभकामनाएं देते हैं. यह पर्व नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है.  

इस दिन रात के समय सभी लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं और आग जलाते हैं. इस अलाव में गेहूं की बालियां, रेवड़ी, मूंगफली, खील, चिक्की और गुड़ से बनी चीजें अर्पित की जाती हैं. पंजाबियों के लिए यह त्योहार काफी महत्व रखता है. इस त्योहार के दिन पंजाबी गीत और डांस का आनंद लिया जाता है. यह त्योहार मुख्यतः नई फसल की कटाई के मौके पर मनाया जाता है और रात को लोहड़ी जलाकर सभी रिश्तेदार और परिवार वाले पूजा करते हैं. लोहड़ी से कई लोक और पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं जिनके कारण यह त्यौहार मनाया जाता है. भंगड़े के साथ डांस और आग सेंकते हुए गीत गाते खुशियां मनाने का पर्व है लोहड़ी.

मकर संक्रांति को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का संकेत माना जाता है, जो नई फसल के आगमन और दिन के उजाले के बढ़ने का प्रतीक है. लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी, जबकि मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी. लोहड़ी खुशियों का त्योहार है. यह त्योहार भगवान सूर्य और अग्नि को समर्पित है. सूर्य और अग्नि को ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है. यह त्योहार सर्दियों के जाने और बसंत ऋतु के आने का संकेत है. लोहड़ी की रात सबसे ठंडी मानी जाती है. इस त्योहार पर पवित्र अग्नि में फसलों का अंश अर्पित किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से फसल देवताओं तक पहुंचती है.

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