Dadi Nani Ki Baatein good moral story why cannot eat rice on ekadashi as per hindu shastra

Dadi-Nani Ki Baatein:  हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होता है. एकादशी तिथि के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना भी जरूरी हो जाता है. मान्यता है कि एकादशी के दिन किसी को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. अगर आप किसी कारण एकादशी का व्रत नहीं भी रखते हैं, तब भी चावल का सेवन वर्जित होता है.

घर के बड़े-बुजुर्ग या दादी-नानी भी एकादशी के दिन चावल खाने या फिर पकाने से मना करती हैं. शास्त्रों में भी इस तिथि पर चावल का सेवन वर्जित माना गया है. दादी-नानी की ये बातें आपको कुछ समय के लिए अटपटी या फिर मिथक लग सकती है. लेकिन शास्त्र और विज्ञान में इसके कारण और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया है.

इसलिए अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करेंगे तो सुखी रहेंगे और भविष्य में होनी वाली अशुभ घटना से बच जाएंगे. आइए जानते हैं आखिर क्यों दादी-नानी एकादशी के दिन चावल खाने से मना करती हैं.

एकादशी पर चावल का सेवन क्यों वर्जित

धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने वाले का अगल जन्म रेंगने वाले जीव के रूप में होता है. विष्णु पुराण में भी एकादशी पर चावल खाने की मनाही है. इसमें कहा गया है कि, एकादशी पर चावल खाने से पुण्य फल की प्राप्ति नहीं होत है. ऐसा इसलिए क्योंकि चावल को हविष्य अन्न यानी देवताओं का भोजन कहा जाता है. देवी-देवताओं के सम्मान के लिए शास्त्रों में एकादशी तिथि पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.

क्या है वैज्ञानिक कारण

एकादशी के दिन लोग व्रत रखते हैं और धार्मिक गतिविधियों में लीन रहते हैं. विज्ञान के अनुसार चावल में पानी की मात्रा अधिक होती है. वहीं जल तत्व पर मन के कारक चंद्रमा का अधिक प्रभाव रहता है. ऐसे में मन के चंचल होने पर व्रत नियमों का पालन नहीं हो पाता और पूजा-अर्चना में ध्यान नहीं लग पाता. इसलिए भी एकादशी पर चावल का सेवन वर्जित होता है.

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