antidepressant medicines sales increased after covid 19 know uses

Antidepressant Sales in India : कुछ सालों में एंटीडिप्रेसेंट्स और मूड एलिवेटर्स की सेल्स तेजी से बढ़ी है. खासतौर पर कोरोना के बाद इनकी डिमांड बढ़ी है. इस दौरान तीन-चार सालों में ही देश में एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों का इस्तेमाल 64 प्रतिशत तक बढ़ गया है. 2020 में देशभर में इन दवाओं का मार्केट 1,540 करोड़ रुपए का था,  जो नवंबर 2024 तक बढ़कर 2,536 करोड़ रुपए हो गया. मतलब इसमें 13% CAGR के हिसाब से इजाफा हुआ है. 17 प्रमुख दवा कंपनियों पर नजर रखने वाले डेटा फार्मारैक के आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ है.

यह भी पढ़ें: दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च

लिस्ट में टॉप पर एस्सिटालोप्राम और क्लोनाज़ेपम का कॉम्बिनेशन है,  जिसकी सेल्स 2020 के बाद से 59.35% तक बढ़ी है. एस्सिटालोप्राम, डिप्रेशन और स्ट्रेस डिसऑर्डर के इलाज में इस्तेमाल होती हैं. वहीं, क्लोनाज़ेपम नर्व्स सिस्टम को शांत करके स्ट्रेस, घबराहट और दौरे को मैनेज करती है.

सर्ट्रालीन की डिमांड भी बढ़ी

क्यों बढ़ी इन दवाओं की डिमांड

मनोचिकित्सकों का मानना है कि ये दवाएं भारत में सबसे ज्यादा एंटी डिप्रेशन के तौर पर इस्तेमाल की जाती हैं, इसलिए इनके इस्तेमाल में इजाफा ज्यादा हैरान करने वाली बात नहीं है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, हर 7 में से एक भारतीय मानसिक तौर पर बीमार है, जबकि दुनियाभर में हर 8वां इंसान मेंटल हेल्थ की समस्या से जूझ रहा है. डॉक्टर्स उन्हें इस तरह की एंटी-डिप्रेशन दवाएं लिख रहे हैं.

क्या दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल फायदेमंद

टाइम्स ऑफ इंडिया ने बीएमसी के केईएम अस्पताल और ग्लेनीगल्स अस्पताल में प्रैक्टिस करने वाली डॉ. नीना सावंत के हवाले से बताया है कि इन दवाओं की बिक्री बढ़ना एक तरह से पॉजिटिव सोच भी दिखाता है कि ज्यादा लोग अब इलाज की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह अच्छा है कि ज्यादातर डॉक्टर्स इस तरह की डिप्रेशन रोकने वाला दवाएं लिख रहे हैं, इसकी कम डोज भी तय की जा रही है. जिसका फायदा मरीजों में देखने को मिल रहा है. इससे मेंटल हेल्थ से जूझ रहे मरीजों की संख्या में कमी भी आ सकती है.

 

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator

Read More at www.abplive.com