ई-रुपये का ट्रायल लगभग दो वर्ष पहले शुरू किया गया था। यह ट्रायल अब एडवांस फेज में है। RBI के डिप्टी गवर्नर T Rabi Sankar ने Bloomberg को बताया कि भारत की डिजिटल करेंसी की सामान्य इस्तेमाल के लिए शुरुआत करने में कुछ देर हो सकती है। उनका कहना था, “हम इसे लेकर कोई जल्दबाजी नहीं करेंगे। इसके परिणाम या असर के बारे में स्थिति कुछ स्पष्ट होने के बाद इसे लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए कोई विशेष समयसीमा नहीं रखी गई है।” भारतीय करेंसी को इंटरनेशनल बनाने के लिए RBI इसे एक जरिए के तौर पर देख रहा है।
कुछ अन्य देशों में भी CBDC को फाइनेंशियल सिस्टम में शामिल करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय पेमेंट्स के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को घटाना है। Rabi Sankar ने बताया कि श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ CBDC से जुड़ी पेमेंट्स की व्यवस्था पर कार्य किया जा रहा है। हाल ही में RBI के गवर्नर, Shaktikanta Das ने बताया था कि ई-रुपये के रिटेल ट्रायल में लगभग 50 लाख यूजर्स जुड़े हैं। दास ने कहा था कि ई-रुपये का प्रोगामेबिलिटी फीचर इसे फाइनेंशियल सिस्टम में जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण होगा। इससे किसानों को भी आसानी से कर्ज मिल सकेगा। कुछ महीने पहले दुबई के क्रिप्टो एक्सचेंज ByBit ने ई-रुपये का अपनी पीयर-टु-पीयर (P2P) ट्रांजैक्शन सर्विस के लिए इंटीग्रेशन करने की घोषणा की थी। कुछ UPI ऐप्स भी RBI की निगरानी में डिजिटल रुपये के ट्रायल में शामिल होने की योजना बना रहे हैं।
उन्होंने बताया था, “किराए पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसानों को खेती में इस्तेमाल होने वाले मैटीरियल के लिए कर्ज लेने में मुश्किल होती है क्योंकि उनके पास बैंकों के पास जमा करने के लिए जमीन का मालिकाना हक नहीं होता। ई-रुपये के इस्तेमाल की प्रोगामिंग करने से खेती से जुड़े कर्ज लेने में किसानों को आसानी होगी। इससे बैंकों को किसान की पहचान तय करने के लिए उसकी जमीन के दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी।”
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