Chhath Puja 2024 prasad Thekua know its importance and history mahaprasad of chhath

छठ पूजा का पारंपरिक प्रसाद है ठेकुआ. ठेकुआ छठी मैया को बहुत प्रिय होता है, इसीलिए व्रत में इसी का प्रसाद बनता है.छठ पूजा के बाद ठेकुआ प्रसाद रूप में दोस्तों-रिश्तेदारों में बांटा भी जाता है.

छठ पूजा का पारंपरिक प्रसाद है ठेकुआ. ठेकुआ छठी मैया को बहुत प्रिय होता है, इसीलिए व्रत में इसी का प्रसाद बनता है.छठ पूजा के बाद ठेकुआ प्रसाद रूप में दोस्तों-रिश्तेदारों में बांटा भी जाता है.

ठेकुआ को खजुरिया या थिकरी के नाम से भी जाना जाता है.ठेकुआ सबसे पहले किसने बनाया इसको लेकर कोई सही जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, पर कुछ इतिहासकारों का मानना है कि करीब 3700 साल पहले ऋग्वैदिक काल में ठेकुआ जैसे किसी मिष्ठान 'अपूप' का जिक्र जरूर मिलता है.

ठेकुआ को खजुरिया या थिकरी के नाम से भी जाना जाता है.ठेकुआ सबसे पहले किसने बनाया इसको लेकर कोई सही जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, पर कुछ इतिहासकारों का मानना है कि करीब 3700 साल पहले ऋग्वैदिक काल में ठेकुआ जैसे किसी मिष्ठान ‘अपूप’ का जिक्र जरूर मिलता है.

अपूप, मिष्ठान ठेकुआ से काफी मेल खाता है.एक किंवदंती अनुसार जब भगवान बुद्ध ने ज्ञानप्राप्ति के बाद बोधिवृक्ष के पास 49 दिनों का व्रत रखा था. तो उस दौरान वहां से दो व्यापारी गुजरे और उन्होंने बुद्ध को आटे, घी और शहद से बना एक व्यंजन दिया.

अपूप, मिष्ठान ठेकुआ से काफी मेल खाता है.एक किंवदंती अनुसार जब भगवान बुद्ध ने ज्ञानप्राप्ति के बाद बोधिवृक्ष के पास 49 दिनों का व्रत रखा था. तो उस दौरान वहां से दो व्यापारी गुजरे और उन्होंने बुद्ध को आटे, घी और शहद से बना एक व्यंजन दिया.

इस व्यंजन को भगवान बुद्ध ने खाकर अपना उपवास खोला था, ऐसा माना जाता है यह व्यंजन ठेकुआ ही था.

इस व्यंजन को भगवान बुद्ध ने खाकर अपना उपवास खोला था, ऐसा माना जाता है यह व्यंजन ठेकुआ ही था.

ठेकुआ शब्द 'ठोकना' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है

ठेकुआ शब्द ‘ठोकना’ से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “हथौड़ा मारना”. ठेकुआ के आटे को हथौड़े या किसी भारी चीज से दबाकर बनाया जाता है.

ठेकुआ शब्द बिहारी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है उठाना. छठ पूजा के समय व्रती प्रसाद को उठाते हैं और आरती के समय खाते हैं.

ठेकुआ शब्द बिहारी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है उठाना. छठ पूजा के समय व्रती प्रसाद को उठाते हैं और आरती के समय खाते हैं.

Published at : 07 Nov 2024 01:55 PM (IST)

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