Chhath Puja 2024 Kharna 6 november panchag auspicious shivvas yog shubh muhurat for puja vrat

बुधवार 6 नवंबर 2024 को छठ पूजा का दूसरा दिन है. इसे खरना कहते हैं. खरना पूजा छठ का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. क्योंकि इसी दिन से व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत करती है. यह भी मान्यता है कि खरना के दिन ही छठी मैया का आगमन भी होता है.

बुधवार 6 नवंबर 2024 को छठ पूजा का दूसरा दिन है. इसे खरना कहते हैं. खरना पूजा छठ का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. क्योंकि इसी दिन से व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत करती है. यह भी मान्यता है कि खरना के दिन ही छठी मैया का आगमन भी होता है.

खरना के दिन चावल, दूध, गुड़ की खीर और मीठी रोटी बनाई जाती है. इसके बाद संध्याकाल में शुभ मुहूर्त में व्रती खरना करती है. खरना करने का अर्थ होता है बनाए गए प्रसाद को पहले छठी मैया को भोग लगाना और फिर ग्रहण करना.

खरना के दिन चावल, दूध, गुड़ की खीर और मीठी रोटी बनाई जाती है. इसके बाद संध्याकाल में शुभ मुहूर्त में व्रती खरना करती है. खरना करने का अर्थ होता है बनाए गए प्रसाद को पहले छठी मैया को भोग लगाना और फिर ग्रहण करना.

पंचांग के अनुसार खरना कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि को होती है, जोकि 6 नवंबर 2024 को है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार इस दिन शुभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है, जोकि देर रात 12:41 तक रहेगा.

पंचांग के अनुसार खरना कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि को होती है, जोकि 6 नवंबर 2024 को है. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार इस दिन शुभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है, जोकि देर रात 12:41 तक रहेगा.

ऐसी मान्यता है कि शिववास योग में भगवान शिव कैलाश पर रहते हैं और इस समय किए गए पूजा-पाठ का दोगुना फल मिलता है. इसके साथ ही खरना के दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का संयोग भी रहेगा.

ऐसी मान्यता है कि शिववास योग में भगवान शिव कैलाश पर रहते हैं और इस समय किए गए पूजा-पाठ का दोगुना फल मिलता है. इसके साथ ही खरना के दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का संयोग भी रहेगा.

शिववास योग और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र दोनों को ज्योतिष में शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन बव और बालव करण का भी संयोग रहेगा. खरना के दिन सौभाग्य पंचमी का पर्व भी मनाय जाएगा. इन दुर्लभ योगों में खरना पूजा करना बहुत शुभ रहेगा.

शिववास योग और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र दोनों को ज्योतिष में शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन बव और बालव करण का भी संयोग रहेगा. खरना के दिन सौभाग्य पंचमी का पर्व भी मनाय जाएगा. इन दुर्लभ योगों में खरना पूजा करना बहुत शुभ रहेगा.

खरना को छठ व्रत का दूसरा संयम कहा जाता है, क्योंकि इस दिन से छठ से संबंधित सभी नियमों का सख्ती से पालन करना जरूरी होता है. खरना के बाद व्रती को भूमि पर शयन करना चाहिए और पूर्ण निर्जला व्रत का संकल्प लेना चाहिए.

खरना को छठ व्रत का दूसरा संयम कहा जाता है, क्योंकि इस दिन से छठ से संबंधित सभी नियमों का सख्ती से पालन करना जरूरी होता है. खरना के बाद व्रती को भूमि पर शयन करना चाहिए और पूर्ण निर्जला व्रत का संकल्प लेना चाहिए.

Published at : 06 Nov 2024 04:12 AM (IST)

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