घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने अक्टूबर में भारतीय इक्विटी बाजार में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। ये DII की अब तक की सबसे अधिक मासिक खरीदारी है। DII की ये खारीदारी उस स्थिति में हुई है जब विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार बिकवाली जारी रखे हुए हैं। अक्टूबर महीने के दौरान FIIs ने 85,000 करोड़ रुपये ($11 बिलियन) की कुल निकासी के साथ बिकवाली जारी रखी है। वहीं, साल 2024 में घरेलू संस्थागत निवेशकों का निवेश लगभग 4.41 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि इस साल में अभी दो महीने और बाकी हैं।
हाल के DII आंकड़े इक्विटी की ओर बढ़ते रुझान का संकेत दे रहे हैं। इक्विटी बाजार में म्यूचुअल फंड के माध्यम से रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। बाजार जानकारों का कहना है कि महंगे वैल्यूएशन और FIIs की बिकवाली के बावजूद बाजार को रिटेल निवेशकों से अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। इसके चलते बाजार में कोई बड़ी गिरावट नहीं आने पाई है।
पाइनट्री मैक्रो के को-फाउंडर रितेश जैन ने कहा, “DII निवेश में इश्योरेंस और रिटायरमेंट फंड निवेश के साथ-साथ SIP का अहम योगदान है। हालांकि नेट SIP निवेश धीमा पड़ सकता है लेकिन रिटायरमेंट निवेश मजबूत रहने और बढ़ने की संभावना है। इसे भारत के 401(k) मोमेंट के रूप में देखा जा सकता है, जहां घरेलू निवेश बढ़ता रहेगा और FII की निकासी की भरपाई करेगा।”
इससे पहले, सबसे ज़्यादा मासिक DII निवेश मार्च 2024 में दर्ज किया गया था, जो लगभग 56,356 करोड़ रुपये था। DII निवेश के लिए अन्य उल्लेखनीय महीनों में मई 2024 शामिल है, जिसमें 55,740 करोड़ रुपये से ज़्यादा निवेश हुआ था। मार्च 2020 में लगभग 54,857 करोड़ रुपये और मई 2022 में 49,400 करोड़ रुपये से ज़्यादा DII निवेश हुआ था।
फिनट्रेक कैपिटल के संस्थापक और सेबी-पंजीकृत रिसर्च एनालिस्ट अमित कुमार गुप्ता ने कहा कि पिछले चार सालों से डीआईआई का निवेश मजबूत बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इस साल SIP बुक के अलावा जो पिछले चार सालों से 3 गुना है, हमारे पास कई सेक्टोरल एनएफओ भी थे जिससे निवेश बढ़ा है।
मार्केट एनालिस्टों का कहना है कि नए संवत में निफ्टी में मामूली ग्रोथ (0-5%) हो सकती है। लगातार चार सालों तक दोहरे अंकों की ग्रोथ के बाद, कमोडिटी के दबाव और बीएफएसआई असेट क्वालिटी में सुधार में सुस्ती के कारण कॉर्पोरेट आय में नरमी आ रही है।
तमाम चुनौतियों के बावजूद, त्यौहारी सीजन, उम्मीद से बेहतर मानसून और ग्रामीण खपत में तेजी शॉर्ट टर्म के लिए उत्प्रेरक का काम करेंगे। यूएस फेड सहित बड़े ग्लोबल केंद्रीय बैंकों ने मौद्रिक नीतियों में नरमी का रुख अपना लिया है। यह बदलाव इक्विटी मार्केट के लिए अनुकूल माहौल का संकेत है। ऐसे में बाजार प्रतिकूल और अनुकूल परिस्थितियों के बीच रस्साकशी कर रहा है।
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इस बीच, भू-राजनीतिक तनाव और भारतीय इक्विटी के महंगे वैल्यूएशन के बीच एफआईआई ने भारी बिकवाली जारी रखी है। एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक एफआईआई ने अक्टूबर में 85,390 करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली की है। सितंबर तिमाही के नतीजे उम्मीद से कम रहने और सरकारी प्रोत्साहन उपायों के बाद चीनी बाजारों की ओर विदेशी निवेशकों बढ़त रुझान के कारण एफआईआई की बिकवाली बढ़ी है।
अक्टूबर का महीना एफआईआई निकासी के लिए रिकॉर्ड तोड़ महीना था। पिछली बड़ी बिकवाली में मार्च 2020 शामिल है, जिसमें एफआईआई ने 62,433 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी, इसके बाद जून 2022 और फरवरी 2022 में क्रमशः 49,468 करोड़ रुपये और 37,689 करोड़ रुपये की एफआईआई बिकवाली हुई।
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