Vastu tips for puja room at home temple direction colour puja ghar ke niyam

Vastu Tips for Puja Room: आस्था और विश्वास के साथ जब हम अपने घर में ईश्वर को स्थान देते हैं, तो परिवार के लिए सुख-समृद्धि की कामना भी करते हैं. घर पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे, पूजा-पाठ का पूर्ण लाभ मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि पूजाघर वास्तु नियमों के अनुसार होना चाहिए अन्यथा गलत दिशा में की गई पूजा से लाभ होने की बजाय आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

घर में पूजा स्थान का सही जगह होना महत्वपूर्ण

पूजा घर सही स्थान पर न होने के कारण कभी-कभी पूजा का शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाता है, इसलिए पूजा घर बनवाते समय आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए, अगर आपके घर में पूजा घर है तो उसे भी वास्तु के कुछ नियमों से ठीक करवाकर अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार तेज कर सकते हैं.

कैसा हो आपका पूजा घर ? (Puja ghar according to Vastu)

  • आपका पूजा कक्ष चाहे किसी भी दिशा में हो, लेकिन देवी-देवता के मुख की दिशा उत्तर-पूर्व की ओर होनी चाहिए. पूजा करते समय इसे शुभ माना जाता है.
  • वास्तु के अनुसार, पूजा कक्ष एक शांत जगह है, इसलिए इसका रंग भी शांत होना चाहिए, इसलिए पूजा घर में सफेद, पीला, लाइट ब्लू, नारंगी जैसे रंगों को चुन सकते हैं.
  • अगर वास्तु के अनुसार पूजा कक्ष बनाना चाहते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि वह सीढ़ियां और बाथरूम से दूर हो.
  • वास्तु के अनुसार, देवी-देवता को जमीन में न रखें. बल्कि अपनी मूर्तियों के लिए एक मंच, चौकी ले आएं. अपने देवताओं को जमीनी स्तर से ऊपर रखें.
  • पूजा कक्ष में मूर्तियों को दीवार से सटाकर न रखें. मूर्तियों और दीवार के बीच एक इंच और आधा इंच जगह छोड़ दें.
  • पूजा कक्ष में दीपक और मोमबत्तियां जलाना एक महत्वपूर्ण माना जाता है. वास्तु के अनुसार, घर में धूपबत्ती और घी जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है, इसलिए दीपक को दक्षिण-पूर्व में मूर्तियों के सामने रखें.
  • वास्तु के अनुसार, देवी- देवताओं की टूटी-फूटी मूर्तियों रखने से बचना चाहिए,क्योंकि ये अशुभ होता है और वास्तु दोष भी लगता है. इसलिए क्षतिग्रस्त मूर्तियों को बहते हुए जल में विसर्जित कर देना चाहिए या पीपल के पेड़ के नीचे रख देना चाहिए.

पूजा का आदर्श स्थान

मानसिक स्पष्टता और प्रज्ञा की दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान) पूजा करने के लिए आदर्श स्थान है क्योंकि यह कोण पूर्व एवं उत्तर दिशा के शुभ प्रभावों से युक्त होता है.घर के इसी क्षेत्र में सत्व ऊर्जा का प्रभाव शत-प्रतिशत होता है.

पूजा करते समय मुख की दिशा

पूजा करते वक्त मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करना चाहिए. वास्तु ग्रंथों में कहा गया है कि धन प्राप्ति के लिए उत्तर दिशा एवं ज्ञान प्राप्ति के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके की गई पूजा चमत्कारिक लाभ देती है.

किस देवता के लिए कौनसी दिशा

प्रत्येक दिशा के अपने देवता हैं  जो उस दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए उस क्षेत्र के देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उस दिशा विशेष में ही पूजा करना उत्तम रहता है जैसे –

  • देवी माँ और हनुमान जी की पूजा दक्षिण दिशा में
  • धन की दिशा उत्तर में गणेश
  • लक्ष्मी जी एवं कुबेर की व उत्तर-पूर्व दिशा में
  • शिव परिवार,राधा-कृष्ण और पूर्व दिशा में श्री राम दरबार,भगवान विष्णु की आराधना एवं सूर्य उपासना करने से परिवार में सौभाग्य की वृद्धि होती है.

शिक्षा की दिशा पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में विद्यादायिनी माँ सरस्वती की पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है.पश्चिम दिशा में गुरु,महावीर स्वामी,भगवान बुद्ध,जीसस की पूजा शुभ फल प्रदान करती है.संबंधों और जुड़ाव की दिशा दक्षिण-पश्चिम में पूर्वजों की पूजा सुख-समृद्धि प्रदान करेगी.

पूजा के नियम

पूजा स्थल में सुबह -शाम नियमित रूप से दीपक जलाना एवं शंख ज़रूर रखना चाहिए. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर परिवार में सुख-सौहार्द का वातावरण बनेगा. कभी भी सूखे हुए पुष्प पूजा घर में न रखें, वास्तु में इसे शुभ नहीं माना गया है. पूजा घर में किसी भी प्रकार सात्विक रंग जैसे हल्का हरा,पीला,जामुनी या क्रीम रंग का यहां प्रयोग करने से मन को शांति मिलती है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • पूजाघर के नीचे या ऊपर शौचालय नहीं होना चाहिए.
  • पूजाघर में महाभारत की प्रतिमाएं,प्राणी तथा पक्षियों के चित्र नहीं होने चाहिए.
  • दिवंगतों की तस्वीरें भी यहां नहीं रखे.
  • पूजाघर में धन-संपत्ति छुपाकर रखना शुभ नहीं माना गया है.
  • यहां पर कोई भी खंडित तस्वीर या मूर्ति नहीं होनी चाहिए.
  • दक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोग पूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

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