बल्जिंग डिस्क क्या होता है
ज्यादा आराम तलब लाइफ जीने वालों में बल्जिंग डिस्क की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. यह रीढ़ की हड्डी में होने वाली बीमारी है, जिससे दूसरे अंग भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं. इसमें शरीर में अजीब सा दर्द महसूस होता है. ये बीमारी उनमें भी ज्यादा नजर आती है, जो लगातार बैठकर काम करते हैं.
बल्जिंग डिस्क क्यों हो जाती है
दरअसल, इंटरवर्टेब्रल डिस्क (Intervertebral Disc) वरटेब्रा के बीच शॉक एब्जॉवर की तरह काम करता है, लेकिन बल्जिंग डिस्क में इंटरवर्टेब्रल Disc का अंदरूनी भाग डिस्क से बाहर निकलने लगता है. डिस्क पर एक मोटी बाहरी लेयर होती है, जो सॉफ्ट और जेल से घिरी रहती है. बल्जिंग डिस्क की वजह से ही हर्नियेटेड डिस्क की भी समस्या हो सकती है. जब फैलाव या उभार आसपास की नर्व रूट्स पर ज्यादा दबाव डालने लगता है, तो बल्जिंग डिस्क की समस्या होनी शुरू होती है. इसमें रीढ़ की हड्डी से लेकर नीचे के भाग या शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द बढ़ने लगता है.
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इन लोगों को बल्जिंग डिस्क का खतरा
1. ज्यादा आरामदायक लाइफस्टाइल जीने वालों को
2. ज्यादा फीजियोथेरेपी कराने से
3. गलत तरीके से लंबे समय तक बैठे रहने, रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ने से यह समस्या हो सकती है.
बल्जिंग डिस्क का असर सबसे ज्यादा कहां पड़ता है
जब कोई इंसान एक जगह लगातार बैठा रहता है तो उसे बल्जिंग डिस्क की समस्या होती है, क्योंकि इससे नर्वस सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होता है. इसका असर कहां सबसे ज्यादा पड़ेगा, ये हर्नियेटेड डिस्क पर निर्भर करता है. अगर हर्नियेटेड डिस्क (Herniated Disc) लोअर बैक में है, तो जांघों और हिप्स में ज्यादा दर्द हो सकता है और अगर हर्नियेटेड डिस्क गर्दन में है तो दर्द कंधों और हाथों में होगा.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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