हुंडई का आईपीओ 17 अक्टूबर को बंद हो गया। इनवेस्टर्स काफी समय से इस आईपीओ का इंतजार कर रहे थे। लेकिन, इसे उम्मीद से कम रिस्पॉन्स मिला। हुंडई के ब्रांड की पहचान इंडिया में घर-घर में है। यह कार बनाने वाली इंडिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है। यह आईपीओ करीब 28,000 करोड़ रुपये का था। यह इंडिया का सबसे बड़ा आईपीओ भी था। इससे पहले सबसे बड़ा आईपीओ LIC ने पेश किया था, जो करीब 21,000 करोड़ रुपये का था। हुंडई के शेयरों के 22 अक्टूबर को स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने की उम्मीद है। अगर आपने पैसे नहीं लगाए हैं तो लिस्टिंग के बाद इस स्टॉक में निवेश कर सकते हैं। इससे पहले आपके लिए यह जान लेना जरूरी है कि हुंडई के शेयरों की चाल आगे कैसी रह सकती है।
एक्सपोर्ट के मामले में हुंडई पहले पायदान पर है
इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ आने वाले सालों में 6-8 फीसदी रहने की उम्मीद है। इस ग्रोथ में ऑटो इंडस्ट्री की बड़ी भूमिका होगी। खासकर हुंडई जैसी बड़ी कार कंपनियों को इस ग्रोथ का फायदा मिलेगा। इंडियन मार्केट में हुंडई की स्थिति काफी मजबूत है। घरेलू बाजार में सेल्स के लिहाज से यह दूसरे पायदान पर है, जबकि एक्सपोर्ट के मामले में यह पहले नबंर पर है। इसे अपनी कोरियाई पेरेंट कंपनी का भी सपोर्ट हासिल है, जिससे इसे नई टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का लाभ मिलता है। पहली तिमाही में हुंडई मोटर इंडिया का रेवेन्यू 17,344 करोड़ रुपये रहा। प्रॉफिट साल दर साल आधार पर 12 फीसदी बढ़कर 1,490 करोड़ रुपये रहा।
पहली इलेक्ट्रिक व्हीकल 2025 में आएगी
पेट्रोल-डीजल सेगमेंट में हुंडई की गाड़ियों ने ग्राहकों के बीच अच्छी पैठ बनाई है। कंपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट पर भी फोकस कर रही है। कंपनी की इंडिया में बनी पहली इलेक्ट्रिक गाड़ी 2025 में लॉन्च होने वाली है। जिस तरह से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में ग्राहकों की दिलचस्पी बढ़ रही है, उससे उम्मीद है कि हुंडई को इलेक्ट्रिक सेगमेंट में भी ग्राहकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। कई ऐसे ग्राहक हैं जो सिर्फ हुंडई की गाड़ियां खरीदना चाहते हैं।
आईपीओ के पैसे का इस्तेमाल इंडिया में हुंडई नहीं कर पाएगी
इस आईपीओ की एक खास बात यह थी कि इसमें कंपनी नए स्टॉक्स जारी नहीं कर रही है। यह सिर्फ ऑफर फॉर सेल था। हुंडई मोटर इंडिया की पेरेंट कंपनी हुंडई कोरिया इस OFS के जरिए अपनी इंडियन सब्सिडियरी में हिस्सेदारी घटा रही है। हालांकि, उसने इंडिया में निवेशकों को आश्वस्त किया है कि इस आईपीओ से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल वह इनवेशन और R&D के लिए करेगी। लेकिन, यह तय है कि आईपीओ के पैसे का इस्तेमाल इंडिया में हुंडई मोटर के लिए नहीं होगा। दूसरा, इस ग्रुप की Kia जैसी कंपनियां भी इंडियन मार्केट को लेकर काफी उत्साहित हैं। इससे हितों का टकराव दिखता है।
आईपीओ में कंपनी ने निवेशकों से पूरी कीमत वसूली है
अगर हुंडई की वैल्यूएशन की बात करें तो प्राइस बैंड के ऊपरी लेवल पर FY24 की अर्निंग्स के मुकाबले शेयरों की कीमत 26 गुना दिखती है। यह इंडियन मार्केट में प्रतिद्वद्वी कंपनियों की वैल्यूएशन के जितना है। इसका मतलब है कि हुंडई ने अपने शेयर के लिए पूरी कीमत वसूली है। इससे आगे शेयरों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं दिखती है। जहां तक आईपीओ के सब्सक्रिप्शन की बात है तो आईपीओ का रिटेल और नॉन-इंस्टीट्यूशनल हिस्सा पूरी तरह सब्सक्राइब नहीं हुआ।
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ऑटो कंपनियों को लिए आगे का रास्ता ज्यादा साफ नहीं है
अगर हुंडई के शेयरों की लिस्टिंग गेंस की बात करें तो यह काफी हद तक मार्केट सेंटिमेंट पर निर्भर करेगा। अभी मार्केट में जिस तरह के हालात है और पिछले कुछ दिनों में ऑटो स्टॉक्स का जैसा प्रदर्शन रहा है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि हुंडई के शेयरों की लिस्टिंग ज्यादा प्रीमियम पर नहीं होगी। इससे उन निवेशकों को निराशा हो सकती है, जिन्होंने लिस्टिंग गेंस के लिए इस स्टॉक में निवेश किया है। जहां तक मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म की बात है तो ऑटो कंपनियों के लिए आगे का रास्ता बहुत साफ नहीं लगता है। उन्हें आगे कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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