
आश्विन मास की पूर्णिमा को रास पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा जैसे नामों से जाना जाता है, जोकि इस साल 16 अक्टूबर 2024 को है. 12 पूर्णमासी में रास पूर्णिमा को महत्वपूर्ण माना गया है. सभी पूर्णिमा में जहां स्नान-दान, व्रत और पूजा-पाठ का महत्व है. वहीं इस पूर्णिमा को एक खास त्योहार की तरह मनाया जाता है.

इसे रास पूर्णिमा इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन गुजरात में लोग रास रचाते हैं, गरबा खेलते हैं, राधा रानी-भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करते हैं. फिर भगवान को खीर का भोग लगाया जाता है और बाद में उसे प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है.

मान्यता है कि आश्विन पूर्णिमा के दिन ही कृष्ण ने राधा और गोपियों संग महारास रचाया था और नृत्य-गायन किया था. शास्त्रों के अनुसार जब कृष्ण रास रचाते थे तब चंद्रमा भी उन्हें देख मंत्रमुग्ध होकर आसमान से अमृत की वर्षा करता था.

रास पूर्णिमा को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है. यही कारण है कि शास्त्रों में सभी पूर्णमासी में इस पूर्णिमा को सबसे उत्तम माना जाता है.

कहा जाता है कि रास या शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणे अमृत के समान हो जाती है. इसलिए इस पूर्मिणा की रात लोग खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं और अगले दिन इसका सेवन करते हैं. सेहत के लिए यह खीर लाभप्रद मानी जाती है.

हालांकि विभिन्न जगहों पर इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. कई लोग इस पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से लिए बहुत शुभ मानते हैं. इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा से धन संबंधी परेशानी दूर होती है.
Published at : 15 Oct 2024 07:26 PM (IST)
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