नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय यानी कि ED ने बुधवार को दावा किया कि कर्नाटक में कांग्रेस के विधायक बी. नागेंद्र ने ही वाल्मीकि निगम से जुड़े करोड़ों रुपये के कथित घोटाले की असली साजिश रची थी। ED ने सनसनीखेज दावा करते हुए कहा कि राज्य सरकार के इस निकाय से निकाले गए पैसों का इस्तेमाल इस साल हुए लोकसभा चुनाव में एक प्रत्याशी के लिए भी किया गया। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि इस मामले में उसने कुछ समय पहले बेंगलुरु में PMLA की एक विशेष अदालत के समक्ष अभियोजन शिकायत या चार्जशीट दायर की है जिसका अदालत ने संज्ञान लिया है।
‘पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र को बनाया गया मुख्य आरोपी’
ED ने एक बयान में कहा, ‘विधायक एवं अनुसूचित जनजाति मामलों के पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र को घोटाले की साजिश रचने के मुख्य आरोपी के रूप में नामित किया गया है। आरोप है कि उन्होंने सत्यनारायण वर्मा, एतकारी सत्यनारायण, जे. जी. पद्मनाभ, नागेश्वर राव, नेककेंटी नागराज तथा विजय कुमार गौड़ा जैसे अपने प्रमुख सहयोगियों सहित 24 अन्य लोगों की मदद से कथित तौर पर इस घोटाले को अंजाम दिया।’ इस केस में नागेंद्र को ED ने गिरफ्तार किया था जिसके बाद सूबे में सियासी भूचाल आ गया था।
‘कई फर्जी खातों के जरिए निकाला गया था पैसा’
एजेंसी के दावे के मुताबिक, उसकी जांच में पाया गया कि ‘बी नागेंद्र के कहने पर, निगम (कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम) का खाता बिना किसी उचित अधिकार-पत्र के एमजी रोड शाखा में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां गंगा कल्याण योजना के तहत राज्य के खजाने से 43.33 करोड़ रुपये सहित 187 करोड़ रुपये उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए जमा किए गए।’ ED ने आरोप लगाया कि ‘बाद में इस पैसे को कई फर्जी खातों के माध्यम से निकाला गया और नकदी तथा सोने-चांदी के रूप में बदल दिया।’
‘सर्च ऑपरेशन के दौरान मिले खर्चों के सबूत’
ED ने अपने बयान में कहा कि ‘परिवर्तित’ निधियों में से 20.19 करोड़ रुपये का इस्तेमाल 2024 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले एक कैंडिडेट और बी. नागेंद्र के व्यक्तिगत खर्चों के लिए भी किया गया। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि इन खर्चों के ‘सबूत’ उसे सर्च ऑपरेशन के दौरान मिले और वित्तीय छानबीन तथा बयानों से ‘पुष्टि’ हुई। इसने दावा किया कि ‘इन चुनाव खर्चों का ब्योरा विजय कुमार गौड़ा के मोबाइल फोन से मिला, जो नागेंद्र के कहने पर कैश का मैनेजमेंट संभालता था।’
‘आंध्र और तेलंगाना के फर्जी खातों में डाले पैसे’
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला कर्नाटक पुलिस और CBI की FIR से जुड़ा हुआ है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि निगम (वाल्मीकि) के खातों से करीब 89.62 करोड़ रुपये आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ‘फेक अकाउंट्स’ में डाले गए। निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी. के 21 मई को मृत मिलने के बाद इन कथित अनियमितताओं का खुलासा हुआ। लेखा अधीक्षक ने एक सुसाइड नोट लिखा था जिसमें निगम से विभिन्न बैंक खातों में अवैध रूप से धन अंतरित करने का आरोप लगाया गया था।
चंद्रशेखरन ने सुसाइड नोट में लगाए गंभीर आरोप
अपने सुसाइड नोट में चंद्रशेखरन ने आरोप लगाया कि निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये निकाले गए। इसके अलावा कुछ IT कंपनियों और हैदराबाद स्थित एक सहकारी बैंक के विभिन्न खातों में अवैध रूप से 88.62 करोड़ रुपये जमा किए गए। (भाषा)
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