गौ-पालन पर सब्सिडी में गुजरात, MP से आगे निकला महाराष्ट्र; खजाने पर इतना बढ़ेगा बोझ

महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने गौशालाओं में देसी गायों के लिए सब्सिडी की घोषणा की है। इस सब्सिडी के तहत रजिस्टर्ड गौशालाओं को प्रति देसी गाय के लिए हर दिन 50 रुपए की सब्सिडी मिलेगी।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, मुुंबईFri, 4 Oct 2024 05:15 AM
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महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने गौशालाओं में देसी गायों के लिए सब्सिडी की घोषणा की है। इस सब्सिडी के तहत रजिस्टर्ड गौशालाओं को प्रति देसी गाय के लिए हर दिन 50 रुपए की सब्सिडी मिलेगी। महाराष्ट्र में जारी हुई यह सब्सिडी अन्य भाजपा शासित राज्यों से कहीं ज्यादा है। गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में गौशालाओं को हर दिन प्रति देसी गाय 20 से 40 रुपए की सब्सिडी दी जाती है। वैसे इस नई योजना से महाराष्ट्र सरकार पर हर साल 230 करोड़ रुपए का आर्थिक बोझ भी बढ़ा है। गौरतलब है कि गौशालाओं को आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए यहां पर पहले ही दो योजनाएं चल रही हैं। प्रदेश के वित्त विभाग ने किसी नई सब्सिडी के लिए मना किया था, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने उसकी सलाह को दरकिनार कर दिया है। गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र में गाय को राज्यमाता बनाने का ऐलान किया गया था।

पशुपालन विभाग ने रजिस्टर्ड गौशालाओं के लिए प्रति गाय 30 रुपए प्रतिदिन का प्रस्ताव महाराष्ट्र कैबिनेट के पास भेजा था। इसका मकसद प्रदेश में कम हो रही देसी गायों के संरक्षण को बढ़ावा देना था। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक प्रस्ताव में पहले से जारी योजनाओं का लाभ ले रही गौशालाओं को इससे अलग रखने की बात भी कही गई थी। लेकिन प्रस्ताव पर विचार करने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने हर दिन 50 रुपए प्रति गाय सब्सिडी देने का फैसला किया। यह प्रस्तावित सब्सिडी से 66 फीसदी ज्यादा है। इससे सालाना व्यय 135 करोड़ से बढ़कर 233 करोड़ हो गया है।

सूत्रों के मुताबिक यह बदलाव पशुपालन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल के कहने पर किया गया है। महाराष्ट्र में कुल 824 पंजीकृत गौशाला हैं। अनुमान के मुताबिक इनमें 1,23,389 गाए हैं। सब्सिडी के लिए प्रस्ताव मांगने वाले प्रस्ताव में पशुपालन विभाग ने कहा कि प्रदेश में 2012 में देसी गायों की संख्या 50.5 लाख थी जो 2019 में घटकर 46 लाख रह गई। इसमें यह भी कहा गया कि गौशालाओं में एक गाय के रख-रखाव पर हर दिन 80 रुपए का खर्च आता है। ऐसे में उनकी आर्थिक मदद की जानी चाहिए। हालांकि वित्त विभाग और योजना विभाग ने योजनाओं के दोहराव और नॉन-मेरिट सब्सिडी पर रोक की बात कही थी।

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