Baghpat News: बागपत के पुसार गांव में एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला है. नरेश टिकैत ने कहा है कि सरकार ने किसानों को तहस-नहस कर दिया है. किसानों को सम्मान नहीं मिल रहा है. किसान गुलामियत की जिंदगी जी रहे हैं. वादा पूरा न करने वाले हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोलते हैं. आज के हालात ऐसे है कि देश टूट जाएगा.
उन्होंने कहा कि किसानों के सम्मान को ठेस पहुंच रही है, सरकार किसानों के साथ बात नहीं कर रही है. किसान आंदोलन में आतंकवादी और खालिस्तानी शब्दों से नवाजा गया है. किसान अपने हक के लिए आंदोलन चला रहे हैं. प्रधानमंत्री के लिए कोई गलत बात नहीं निकलती है. देश तो आत्मनिर्भर बना दिया. प्रधानमंत्री ने वर्ष 2014 में भाषण में कहा था कि सरकार बन गई तो 450 रुपये प्रति कुंतल का मूल्य देंगे. गन्ने का 450 रुपये कुंतल मूल्य कहां है?
“किसानों की समस्या नहीं सुन रही सरकार”
उन्होंने पूछा है कि सरकार किसानों की अनदेखी क्यों कर रही है. आज के जो हालात है उनसे देश टूट जाएगा. हमारे बुजुर्गों ने गुलामियत से देश बचाया है. आज किसान गुलाम की जिंदगी जी रहा है. सरकार नेशनल हाईवों की जमीन का सही मुआवजा नहीं दे रही है. एक समान रेट नहीं दे रहे हैं. किसान देश के विकास में कभी बाधा नहीं बना है. भाजपा ने किसानों को तहस-नहस कर दिया है.
सरकार किसानों की समस्याओं को नहीं सुन रही है. खेती और किसानी पर काम कर ग्रामीण क्षेत्र से भी सरकार में अच्छे आदमी गए हुए हैं. लेकिन सरकार में जाते ही उन पर दबाव आ जाता है. किसान परेशान है आज की युवा पीढ़ी को खेती में बचत नहीं दिखाई दे रही है. युवा खेती से दूर भाग रहे हैं. बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गई है. आने वाले समय में यदि ऐसी ही स्थिति बनी रही तो बड़ा नुकसान हो जाएगा क्योंकि लोग शहर की ओर जा रहे हैं. हम लोग शहर में एडजेस्ट नहीं हो पाते हैं. रोजगार देने की जिम्मेदारी सरकार की है. खेती से मिलता रोजगार होना चाहिए. दुग्ध का रेट भी कम से कम 100 रुपये प्रति किलोग्राम होना चाहिए.
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सरकार पर किसानों की उम्मीद बहुत है, लेकिन सरकार उस पर खरी नहीं उतर रही है. गन्ने का मुल्य कम से कम 500 रुपये प्रति कुंतल होना चाहिए. ताकि लागत मिल सके. सरकारी की फर्म के आंकड़ों के अनुसार ही काम होना चाहिए. किसान गन्ना पैदा कर रहे हैं, लेकिन फायदा नहीं हो रहा है. सरकार से फ्री बिजली नहीं चाहिए. एक साल में 10-12 हजार रुपये नलकूप का बिल लेना चाहिए. किसानों की फसलाें के दाम बढ़ने के साथ ही बिजली का बिल भी सरकार को ज्यादा देते रहेंगे. सरकार बहुत महंगे बिल ले रहे हैं.
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