
गणेश पुराण के अनुसार जहां गणपति जी का वास होता है वहां दुख, दरिद्रता, अज्ञान नहीं होता. धर्मग्रंथ और वास्तु के अनुसार कि घर और वर्किंग प्लेस पर गणपति जी को स्थापित कर रहे हैं तो मूर्ति एक जैसी नहीं होना चाहिए, क्योंकि इसका हमारे जीवन पर असर पड़ता है.

घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापना के लिए उनकी सिद्धि विनायक रूप की मूर्ति लाए. घर में सुख-शांति और समृद्धि हमेशा बनी रहे इसलिए यहां बैठे हुए गणेश की स्थापना करनी चाहिए, क्योंकि घर-परिवार पारिवारिक रिश्तों से जुड़ी जगह है.

सिद्धि विनायक रूप की मूर्ति अर्थात जिसमें गणपति जी बैठी हुई मुद्रा में हो, उनके चार हाथ मुकुट, मोदक धारण किए हों. सूंड बाईं ओर मुड़ी हो. लाल या सिंदूर रंग हो.

वहीं ऑफिस, दुकान या फैक्ट्री हमारे काम करने की जगह है, यहां व्यक्ति मेहन कर कमाई करता है. इसलिए दुकान और फैक्ट्री में खड़े हुए गणपति की मूर्ति की स्थापना करें.

बप्पा की खड़ी हुई मूर्ति को विघ्नेश्व गणपति भी कहा जाता है. इनके आशीर्वाद से काम में तेजी आती है, वातावरण शुद्ध रहता है. दिन दोगुनी तरक्की होती है.

दाईं तरफ मुड़ी हुई सूंड और खड़ी मुद्रा वाले गणपति विघ्नेश्वर होते हैं. इनकी मूर्ति पीले रंग की होती है. ये अपनी आठ भुजाओं में कमल, अंकुश, ग्रंथ, शंख, धनुष, पाश, मोदक लिए होते हैं.

गणेश जी की स्थापना के लिए 7 सितंबर को सुबह 11.01 से दोपहर 01.34 तक शुभ मुहूर्त है.
Published at : 06 Sep 2024 05:00 PM (IST)
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