Risk in F&O Trading: फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस यानी F&O ट्रेडिंग की इस समय बहार है। पिछले कुछ समय से बड़ी संख्या में रिटेल निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई F&O ट्रेडिंग में लगा रहे हैं। कई लोग इसे तेजी से पैसे बनाने का जरिया मानते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि ज्यादातर ट्रेडर्स को इसमें घाटे का सामना करना पड़ता है। सेबी (SEBI) के मुताबिक, F&O में हर साल रिेटेल निवेशकों को करीब 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। अगर 100 लोग F&O ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो 90 घाटे में रहते हैं। लेकिन आखिर ऐसा होता क्यों है? F&O ट्रेडर्स को क्यों अधिकतर बार घाटा उठाना पड़ता है? आइए इसके पीछे के 10 मुख्य कारणों को जानते हैं-
1. लेवरेज का जोखिम
F&O ट्रेडिंग में लेवरेज का इस्तेमाल होता है, जिसमें ट्रेडर्स कम पैसे लगाकर बड़ी पोजीशन ले सकते हैं। लेकिन इस फायदे के साथ एक बड़ा नुकसान भी आता है। यह लेवरेज जितनी तेजी से प्रॉफिट को बढ़ाता है, उतनी ही तेजी से लॉस को भी बढ़ाता है। ऐसे में अगर मार्केट आपके खिलाफ जाता है, तो आप अपने निवेश से ज्यादा पैसे खो सकते हैं।
2. बाजार की अस्थिरता
F&O मार्केट में उतार-चढ़ाव और अचानक से बड़े प्राइस फ्लक्चुएशन्स आना आम बात हैं। ऐसे में अगर आपके पास मजबूत स्ट्रैटजी नहीं है या आपने रिस्क मैनेजमेंट नहीं किया है और आपकी पोजिशन मार्केट के मूवमेंट के खिलाफ हो जाती है, तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
3. लिक्विडिटी का संकट
कई बार कुछ स्टॉक्स या कॉन्ट्रैक्ट्स में कम ट्रेडिंग होती है। इसे हम ‘लो लिक्विडिटी’ कहते हैं। इस स्थिति में, आपको सही समय पर अपनी पोजीशन से बाहर निकलने में मुश्किल हो सकती है। जब आप ट्रेड को एग्जिट करने की कोशिश करेंगे, तो आपको स्लिपेज का सामना करना पड़ सकता है, जिससे आपका लॉस बढ़ सकता है। ऐसे में रिटेल निवेशकों को इन कम लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स से दूर ही रहना चाहिए।
4. टाइम डिके (Time Decay)
ऑप्शंस ट्रेडिंग में एक और बड़ा जोखिम होता है – टाइम डिके का। समय बीतने के साथ ऑप्शंस की वैल्यू घटती जाती है। अगर आपने ऑप्शन खरीदा है और मार्केट किसी भी दिशा में मूव नहीं हुआ है, फिर भी सिर्फ समय के बीतने के साथ आपके कॉन्ट्रैक्ट की वैल्यू कम हो जाती है, जिससे आपको नुकसान हो सकता है।
5. मार्जिन कॉल्स
अगर मार्केट अचानक आपके खिलाफ जाता है, तो ब्रोकर आपसे अतिरिक्त मार्जिन की मांग कर सकता है। इस स्थिति को हम मार्जिन कॉल कहते हैं। अगर आप इसे पूरा नहीं करते हैं, तो ब्रोकर आपकी पोजिशन को लॉस में क्लोज कर सकता है, जिससे आपका घाटा और बढ़ सकता है।
6. F&O ट्रेडिंग की जटिलता
F&O ट्रेडिंग एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें कई तरह की स्ट्रैटजी और टूल्स होते हैं जिन्हें समझना जरूरी है। कई नए ट्रेडर्स इन जटिलताओं को समझे बिना ट्रेडिंग शुरू कर देते हैं, जिससे वे गलत फैसले लेते हैं और उन्हें भारी नुकसान होता है।
7. काउंटरपार्टी का जोखिम
वैसे तो F&O ट्रेडिंग में एक्सचेंज के जरिए क्लीयरिंग हाउस इस जोखिम को कम कर देता है, फिर भी ओवर-द-काउंटर (OTC) डेरिवेटिव्स में काउंटरपार्टी डिफॉल्ट का जोखिम बना रहता है। अगर काउंटरपार्टी अपने कॉन्ट्रैक्ट का पालन नहीं करता है, तो आपको नुकसान हो सकता है।
8. नियामकीय जोखिम
नियमों में बदलाव भी ट्रेडिंग की परिस्थितियों और F&O मार्केट के स्ट्रक्चर को प्रभावित कर सकता है। कई बार ये बदलाव अचानक हो सकते हैं, जिससे ट्रेडर्स को नुकसान हो सकता है। जैसे SEBI ने हाल ही में F&O सेगमेंट में बदलाव की बात कही है, जो छोटे निवेशकों के लिए एक चुनौती हो सकती है।
9. भावनात्मक जोखिम
F&O ट्रेडिंग में भावनात्मक फैसले नुकसान की बड़ी वजह होते हैं। ट्रेडर्स कई बार मार्केट मूवमेंट से डरकर या लालच में आकर इम्पल्सिव ट्रेडिंग कर लेते हैं, जो नुकसान का कारण बनती है। इसलिए ट्रेडिंग के दौरान अपने इमोशंस को काबू में रखने की कोशिश करनी चाहिए।
10. सिस्टैमिटक रिस्क
कभी-कभी पूरे मार्केट या अर्थव्यवस्था में बड़ी उथल-पुथल आ जाती है, जैसे आर्थिक मंदी या वित्तीय संकट। ऐसे में आपकी पोजिशन चाहे जितनी मजबूत हो, बाजार की गिरावट का उसर उस पोजिशंस पर भी पड़ता है और आपको नुकसान हो सकता है।
कुल मिलाकर, F&O ट्रेडिंग में पैसा बनाना आसान नहीं है। इसके लिए सही रणनीति, रिस्क मैनेजमेंट और अच्छी जानकारी जरूरी है। SEBI भी लगातार इसके जोखिमों पर नजर बनाए हुए है और नियमों को कड़ा कर रहा है। बिना सोचे-समझे इस मार्केट में कूदना खतरनाक हो सकता है।
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