फैमिली में किसी को हार्ट डिजीज नहीं, इसका मतलब मुझे कोई खतरा नहीं? जानें हकीकत

Heart Attack Myths : हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी दिल की बीमारियों का खतरा घटाना है तो लाइफस्टाइल और खानपान को बेहतर बना लीजिए. हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है इंसान का डेली रुटीन और दिल की बीमारियों में कनेक्शन है. हालांकि, हार्ट डिजीज के लिए कई इन दोनों के अलावा कई फैक्टर्स जिम्मेदार हैं. कई बार यह बीमारी जेनेटिक भी होती है. मतलब अगर फैमिली में किसी को ह्रदय रोग है तो आने वाली पीढ़ी यानी आपमें भी उसका खतरा रहता है.

 

ऐसी बातों को लेकर ‘एबीपी लाइव हिंदी’ की खास पेशकश है Myth Vs Facts.  ‘Myth Vs Facts सीरीज‘ की कोशिश है कि आपको दकियानूसी बातों की दलदल से निकालकर आपतक सच्चाई पहुंचाना. कई लोगों का मानना है कि अगर परिवार में किसी को भी हार्ट डिजीज नहीं है तो वे इससे पूरी तरह सेफ हैं. आइए जानते हैं सच्चाई… 

 

Myth : अगर मेरी फैमिली में किसी को हार्ट डिजीज नहीं है तो इसका मतलब मैं सेफ हूं

Fact : हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर परिवार में किसी को भी दिली की बीमारियां हैं तो उनमें इसका जोखिम ज्यादा रहता है लेकिन कई लोगों में बिना फैमिली हिस्ट्री के भी हार्ट की प्रॉब्लम्स होती हैं. हार्ट डिजीज का जोखिम हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, धूम्रपान, मोटापा, तनाव और फिजिकल एक्टिविटी न होने से हो सकता है.

 

Myth :  अगर मेरे माता-पिता को दिल की बीमारी है तो मैं भी खतरे में हूं

Fact :  हार्ट स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि यह पूरी तरह झूठ है. फैमिली हिस्ट्री होने के बावजूद लाइफस्टाइल में बदलाव से हार्ट डिजीज का रिस्क कम किया जा सकता है. हेल्दी डाइट, फल-सब्जियों का ज्यादा सेवन, नियमित तौर पर वर्कआउट दिल की बीमारियों को दूर रख सकता है.

 

Myth : मेरी उम्र 30 साल ही है, इसलिए मुझे हार्ट अटैक-स्ट्रोक नहीं पड़ेगा

Fact : 45 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को दिल का दौरा पड़ना काफी आम होता जा रहा है लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि हाल ही के साल में कम उम्र वाले भी इसकी चपेट में आए हैं. भारत में हर 4 में से एक हार्ट अटैक 40 साल से कम उम्र वालों को हो रहा है.

 

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