What are the benefits of applying mud on body read full article in hindi

बेंटोनाइट क्ले एक नैचुरल मिट्टी है जिसकी बनावट महीन और मुलायम होती है और पानी के साथ मिलाने पर पेस्ट बन जाती है, कुछ लोग इस पेस्ट का इस्तेमाल चिकित्सा या कॉस्मेटिक उद्देश्यों के लिए करते हैं, जिसमें चकत्ते और मुंहासे का इलाज भी शामिल है. बेंटोनाइट क्ले कई कॉस्मेटिक प्रोडक्ट में मौजूद होते हैं, लेकिन कुछ लोग पाचन संबंधी समस्याओं से राहत पाने या शरीर से गंदगी निकालने की उम्मीद में इसे खाने वाले फूड आइटम या पीने वाले आइटम में मिलाए जाते हैं.  

बेंटोनाइट क्ले के फायदे

शोध में बेंटोनाइट क्ले के स्वास्थ्य लाभों पर ध्यान दिया गया है, हालांकि कई अध्ययनों में पशु या कोशिका मॉडल का उपयोग किया गया है. मनुष्यों में बेंटोनाइट क्ले के लाभों और जोखिमों को समझने के लिए विशेषज्ञों के लिए अधिक शोध आवश्यक है.

स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए बेंटोनाइट क्ले

लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए बेंटोनाइट क्ले का उपयोग करने से पहले हमेशा डॉक्टर से बात करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे क्ले का सुरक्षित और उचित मात्रा में उपयोग कर रहे हैं.

क्या कहते हैं रिसर्चर

शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि बेंटोनाइट क्ले पदार्थों को उनके अणुओं या आयनों से चिपकाकर अवशोषित करती है. जैसे ही क्ले शरीर से बाहर निकलती है, यह विष या अन्य अणुओं को अपने अंदर समाहित कर लेती है. जब कोई व्यक्ति इसे त्वचा पर लगाता है, तो बेंटोनाइट क्ले में तेल और बैक्टीरिया को सोखने की शक्ति हो सकती है.

वहीं डॉक्टर का कहना है कि नॉर्मल मिट्टी को घाव पर नहीं लगाना चाहिए.

डॉक्टरों का कहना है कि घाव पर मिट्टी लगाने या उस पर मिट्टी लगने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया टिटनेस का कारण बन सकता है, इसलिए घाव को मिट्टी से बचाना चाहिए.

घाव पर मिट्टी लगाना चाहिए या नहीं ?
डॉक्टर के मुताबिक, घाव लगने पर मिट्‌टी डालने से बचना चाहिए. मिट्टी में टिटनेस बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो पोर्स की तरह मौजूद रहते रहते हैं और घाव पर पड़ते ही टिटनेट में बदल जाते हैं. डायबिटीज के मरीजों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वालों को इससे ज्यादा खतरा रहता है.

लापरवाही से बचें
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, घाव पर मिट्टी लगाने जैसी लापरवाही से सर्जरी करवाने की जरूरत पड़ सकती है. सर्जरी के दौरान जो स्किन खराब होगी, उसके साथ ही नॉर्मल स्किन को भी रिमूव करना पड़ता है. एंटी-बॉयोटिक्स रेजिस्टेंटस डेवलप होने वाले लोगों में ज्यादा दिक्कतें होती हैं. क्योंकि उनके बैक्टीरिया पर सामान्य एंटीबॉयोटिक्स का खास असर नहीं होता है. ज्यादा एंटीबॉयोटिक्स खाने से रेजिस्टेट्स विकसित हो जाता है, जिससे छोटी चोट या घाव पर भी बैक्टीरिया अटैक कर देता है और जख्म तेजी से बढ़ाता है. 

घाव बन सकता है जानलेवा
चोट और घाव का ज्यादा लाल, सूजन और दर्द इटिंग बैक्टीरिया की वजह से होता है. ये बैक्टीरिया एक मिलिमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चमड़ी के नीचे की मांसपेशियां खाते हैं, जिससे तेजी से इंफेक्शन बढ़ता है और घाव जल्दी ठीक नहीं होता है. गैस गैगरीन बैक्टीरिया भी बेहद खतरनाक होता है. ऐसे में अगर घाव को संभाला न जाए तो जानलेवा भी बन सकता है.

घाव को लेकर क्या करें

1. चोट लगने पर घाव वाली जगह को तुरंत साबुन से धोना चाहिए.

2. इस पर एंटीबॉयोटिक सॉल्यूशन लगाना चाहिए.

3. जितना जल्दी हो सके टिटनेस का इंजेक्शन लगवाएं, क्योंकि सिर्फ जंग लगे लोहे से चोट लगने पर ही टिटनेस नहीं होता है.

4. घाव को मिट्टी से बचाना चाहिए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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