सावन का पावन महीना चल रहा है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है। ऐसे में आज हम आपको ग्रेटर नोएडा में स्थित महादेव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो बेहद लोकप्रिय है। ग्रेटर नोएडा स्थित बिसरख गांव में भगवान शिव का एक ऐसा अनोखा मंदिर है जिसका उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है। चलिए जानते हैं इस मंदिर में क्या है ऐसा ख़ास और यहां आप कैसे पहुंच सकते हैं?
रावण से जुड़ा है शिव मंदिर का इतिहास:
आपको बता दें इस मंदिर का इतिहास लंकापति रावण से जुड़ा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बिसरख गांव में इस शिवलिंग को रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने ही स्थापित किया था। यही नहीं, ऋषि विश्रवा ने रावण के जन्म के लिए इसी मंदिर में शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना की थी। जिसके बाद ही रावण का जन्म हुआ था। इसके बाद कई सालों तक रावण ने भी यहां तपस्या की थी।
अष्टभुजाधारी शिवलिंग है बेहद मशहूर
यह शिवलिंग आज भी गांव के मंदिर में मौजूद है। ऐसा अष्टभुजाधारी शिवलिंग भारत में कहीं भी आपको देखने नहीं मिलेगा। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की गहराई बहुत ज़्यादा है जो आजतक कोई का कोई अनुमान नहीं लगा पाया है। शिव के मंदिर के पास में ही रावण का भी मंदिर है। यहां रावण का जन्म हुआ है इसलिए आज भी यहां के लोग दशहरा पर रावण का दहन नहीं बल्कि उसकी पूजा करते हैं।
क्या है इस मंदिर की विशेषता?
इस मंदिर में मौजूद पूजारी और गाँव के लोगों का मानना है कि अगर आप सावन में इस शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं तो भगवान शिव आपकी हर मनोकामना पूरी करेंगे। ऐसे में भगवान शिव के प्रति आस्था उनके भक्तों को इस जगह तक खिंच ही लाती है।
कैसे पहुंचे शिव मंदिर?
बिसरख गांव पहुंचने के लिए ग्रेटर नोएडा से यहां आसानी पहुंचा जा सकता है। आपको बता दें, किसान चौक से बिसरख गांव की दूरी महज़ पांच किलो मीटर है। यहां कार या ऑटो से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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