Sawan 2024 lord shiva favourite month know Importance of shravan according to shastrarth

Sawan 2024: सोमवार, 22 जुलाई 2024 से सावन या श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी हैं. सावन शुरु होते ही देशभर के प्रत्येक शिव मंदिर में दर्शन व पूजन के लिए की भक्तों की लंबी कतार लगने लगी है. मान्यता है की इस माह में भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

स्वामी अंजनी नंदन दास अनुसार, सृष्टि के संचालनकर्ता भगवान विष्णु (Lord Vishnu) आषाढ़ी एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक राजा बलि के यहां शयन करते हैं, इस लिए चौमासे यानी चातुर्मास (Chaturmas 2024) की अवधि में भगवान शिव श्रृष्टि का संचालन करते है. चालिए अब शास्त्रों पर दृष्टि डालते हैं और जानते है कि आखिर क्यों सावन का महीना भगवान शिव (Shiv ji) को इतना प्रिय है.

स्कंद पुराण श्रावण माहात्म्य 1.17 के अनुसार–

द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ:।
श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत:॥

अर्थ- 12 माह में श्रावण माह शिव जी को अत्यंत प्रिय लगता है. इसका माहात्म्य सुनने (श्रवण) योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है.

नारद पुराण पूर्वभाग- चतुर्थ पाद अध्याय क्रमांक 110.109-120 के अनुसार, सोमवार युक्त श्रावण शुक्ल प्रतिपदा या श्रावण के प्रथम सोमवार से लेकर साढ़े तीन मास तक यह व्रत किया जाता है. इसमें प्रतिदिन सोमेश्वर भगवान शिव की बिल्व पत्र से पूजा की जाती है.

नारद पुराण पूर्वभाग- चतुर्थ पाद अध्याय क्रमांक 114 के अनुसार, श्रावण मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को जब थोड़ा दिन शेष रहे तो कच्चा अन्न (जितना दान देना हो) पृथक् पृथक् पात्रों में रखकर विद्वान् पुरुष उन पात्रों में जल भर दे. इसके बाद वह सब जल निकाल दे. फिर दूसरे दिन सुबह सूर्योदय होने पर विधिवत् स्नान करके देवताओं, ऋषियों तथा पितरों का पूजन करे.

उनके आगे नैवेद्य स्थापित करे और वह पहले दिन का धोया हुआ कच्चा अन्न प्रसन्नता पूर्वक याचकों को दें. फिर प्रदोष काल में शिव मंदिर जाकर लिंग स्वरूप भगवान शिव का गन्ध, पुष्प आदि सामग्रियों के द्वारा सम्यक् पूजन करे. फिर सहस्र या सौ बार पञ्चाक्षरी विद्या (‘नमः शिवाय’ मन्त्र) का जप करे. फिर सदा अन्न की सिद्धि के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करे.

इसके बाद अपने घर आकर ब्राह्मण आदि को पकवान देकर स्वयं भी मौन भाव से भोजन करे. विप्रवर! यह ‘अन्नव्रत’ है, मनुष्यों द्वारा विधिपूर्वक इसका पालन होने पर यह सम्पूर्ण अन्न सम्पत्तियों का उत्पादक और परलोक में सद्गति देने वाला होता है.

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