क्‍या है राइट इश्‍यू, एक्‍स डेट, रिकॉर्ड डेट और डिविडेंड? जानें Stock Market में इस्‍तेमाल होने वाले ऐसे 12 शब्‍दों का मतलब अगर आप मार्केट में रुचि रखते हैं और इसमें निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो कुछ बेसिक शब्‍दों का मतलब आपको जरूर जान लेना चाहिए. इन शब्‍दों के जरिए आपको मार्केट को समझने में काफी मदद मिलेगी. एप में देखें

बीते कुछ सालों में शेयर मार्केट की ओर लोगों का रुझान काफी तेजी से बढ़ा है. अब लोग न सिर्फ म्‍यूचुअल फंड्स, बल्कि सीधेतौर पर स्‍टॉक्‍स में भी निवेश करने लगे हैं. अगर आप मार्केट में रुचि रखते हैं और इसमें निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो कुछ बेसिक शब्‍दों का मतलब आपको जरूर जान लेना चाहिए. ये वो शब्‍द हैं जिनका इस्‍तेमाल शेयर मार्केट की दुनिया में अधिकतर किया जाता है. इनसे मार्केट को समझने में आपको काफी मदद मिलेगी.

फेस वैल्‍यू

किसी भी स्‍टॉक की शुरुआती कीमत के लिए फेस वैल्‍यू शब्‍द का इस्‍तेमाल किया जाता है. शेयर की फेस वैल्‍यू कंपनी तय करती है. फेस वैल्यू का शेयर की मार्केट प्राइस से कोई सम्बन्ध नहीं होता. फेस वैल्यू 1, 2, 5 रुपए हो सकती है, वहीं शेयर की मार्केट वैल्‍यू हजारों में भी हो सकती है. फेस वैल्‍यू को ही आधार बनाकर डिविडेंड देने या स्टॉक स्प्लिट किया जाता है.

राइट इश्‍यू

शेयर बाजारों में लिस्टेड कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए राइट्स इश्यू लाती हैं. इसके तहत कंपनियां अपने मौजूदा शेयरधारकों को ही अतिरिक्त शेयर खरीदने को मंजूरी देती हैं. राइट्स इश्यू के तहत शेयरधारक एक निश्चित अनुपात में कंपनी की ओर से तय अवधि के भीतर अतिरिक्‍त शेयर खरीद सकते हैं. इसके लिए कंपनी अनुपात तय करती है. मान लीजिए कंपनी ने राइट्स इश्यू के लिए 1:3 का अनुपात तय किया है. इसका मतलब यह है कि शेयरधारक अपने पास पहले से मौजूद 3 शेयर पर एक अतिरिक्त शेयर खरीद सकता है. शेयर खरीदने पर कंपनियां अपने शेयरधारकों को डिस्काउंट भी देती हैं.

एक्‍स डेट

एक्‍स डेट वो तारीख होती है जिस दिन तक कंपनी के शेयर खरीदने वाले को डिविडेंड या बोनस का लाभ दिया जाता है. यानी अगर इस तारीख के बाद आप शेयरों की खरीदारी करते हैं तो आप लाभ के हकदार नहीं होंगे. एक्‍स डेट को कंपनी द्वारा ही फिक्स किया जाता है.

रिकॉर्ड डेट

रिकॉर्ड डेट को कंपनी अपने शेयरधारकों की सूची तैयार करती है जिन्हें डिविडेंड या बोनस दिया जाना है. इस सूची में एक्स-डेट तक शेयर खरीदने वाले निवेशकों को शामिल किया जाता है.

52 हफ्तों का हाई/लो

किसी स्टॉक के भाव जब पिछले 52 हफ्तों में सबसे ऊंची कीमत के होते हैं तो इसके लिए 52 हफ्ते हाई शब्‍द का इस्‍तेमाल किया जाता है. वहीं 52 हफ्तों में स्‍टॉक की सबसे निचली यानी कम कीमत को 52 हफ्ते का लो कहा जाता है. ये दोनों टर्म्स इसलिए जरूरी हैं क्योंकि इन दोनों की मदद से किसी शेयर की कीमत का दायरा पता चलता है.

डिविडेंड

डिविडेंड (Dividend) यानी लाभांश, कंपनी की आय के कुछ हिस्से को उसके शेयरधारकों के एक वर्ग के बीच बांटती है. शेयरधारकों को कितना डिविडेंड मिलेगा यह कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा निर्धारित किया जाता है. कोई कंपनी डिविडेंड देना चाहती है या नहीं, ये उस कंपनी पर निर्भर करता है. डिविडेंड अनिवार्य नहीं होता.

अंतरिम डिविडेंड

वो डिविडेंड जिसे कंपनी वार्षिक जनरल बैठक से पहले, घोषित और भुगतान करती है, इसे वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले और अपने वार्षिक वित्तीय स्टेटमेंट जारी करने से पहले दिया जाता है.

स्‍पेशल डिविडेंड

स्पेशल डिविडेंड के जरिए निवेशकों को कंपनी की ओर से ज्यादा अमाउंट दी जाती है. स्पेशल डिविडेंड एक नॉन-रिकरिंग पेमेंट है, जो कि रेगुलर डिविडेंड की तरह हर तिमाही नहीं दिए जाते हैं. स्पेशल डिविडेंड कंपनी की ओर से एक ही बार दिया जाता है. स्पेशल डिविडेंड अलग इवेंट्स जैसे असाधारण मुनाफा, एसेट सेल और दूसरी तरह के विंडफॉल इवेंट के दौरान दिए जाते हैं.

बोनस इश्‍यू या बोनस शेयर

बोनस शेयर कंपनी द्वारा अपने मौजूदा शेयरधारकों को ‘बोनस’ के रूप में दिए गए शेयरों की एक अतिरिक्त संख्या को कहते है. कंपनी शेयरधारकों को ये तब देती है जब कंपनी उस तिमाही के लिए अच्छा मुनाफा कमाने के बावजूद अपने शेयरधारकों को लाभांश देने की स्थिति में नहीं होती. बोनस शेयर को बोनस इश्यू भी कहा जाता है.

ट्रेंड

इस शब्‍द को भी आपको अच्‍छे से समझ लेना चाहिए क्‍योंकि शेयर मार्केट में इसका बहुत ज्‍यादा इस्‍तेमाल किया जाता है. ये बाजार की दिशा की ओर इशारा करता है. अगर बाजार तेजी से नीचे जा रहा है तो कहा जाता है कि बाजार में गिरावट का ट्रेंड है. वहीं अगर बाजार न नीचे जाए और न ही ऊपर जाए, तो इसे साइडवेज ट्रेंड कहा जाता है.

बुल मार्केट और बेयर मार्केट

जब बाजार एक निश्चित समय में बहुत तेजी से ऊपर की ओर बढ़ता है तो इसे बुल मार्केट कहा जाता है. इसमें शेयर के रेट्स भी बढ़ते हैं. लेकिन जब बाजार तेजी से नीचे की ओर आता है तो कहा जाता है कि बाजार बेयर मार्केट में है.

स्‍टॉक मार्केट क्रैश

जब शेयर बाजार के ज्यादातर शेयर एक साथ बहुत ही कम समय में बहुत ज्यादा गिर जाते है, उस स्थिति को स्‍टॉक मार्केट क्रैश कहा जाता है. ये स्‍टॉक मार्केट में आयी मंदी है. ऐसे में ज्‍यादातर लोग शेयर ज्‍यादा गिरने के डर से इसे फटाफट बेचने लगते हैं.

 

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