मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है. इनका रंग कृष्ण वर्ण होने के कारण इन्हें कालरात्रि के नाम से जाना जाता है. देवी कालरात्रि काल से साधक की रक्षा करने वाली मानी गई है.
मां कालरात्रि का प्रिय रंग भी काला और नीला है. नवरात्रि की महासप्तमी पर देवी कालरात्रि की पूजा में नीले रंग के वस्त्र पहनना चाहिए, ये रंग निर्भयता का प्रतीक है.
देवी कालरात्रि की पूजा में एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥ – इस मंत्र का जाप करें.
देवी कालरात्रि को रातरानी का फूल प्रिय है. ऐसे में माता को प्रसन्न करने के लिए उन्हें लाल चंदन अर्पित कर ये फूल चढ़ाएं. माता के आशीर्वाद से शत्रु परेशान नहीं करेंगे.
मां कालरात्रि की पूजा (Kalratri Puja) सुबह और शाम दोनों समय की जाती है. मां के आसन के समीप लाल रंग का कंबल रखा जाता है. घी का दीपक जलाकर रोली, अक्षत, चंदन के साथ ही लौंग, बताशा और हवन सामग्री अर्पित करें फिर कालरात्रि कवच का पाठ करें. इससे देवी हर दुख दूर करती है.
चैत्र नवरात्रि की सप्तमी के दिन मां कालरात्रि के बीज मंत्र ॐ देवी कालरात्र्यै नमः का 108 बार जाप करें. ये उपाय आपको हर बुरी बला से बचाता है.
Published at : 14 Apr 2024 06:35 PM (IST)
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