Baby stars also sneeze scientists claim in new research

जन्‍म के बाद बच्‍चा जब पहली बार छींकता है, तो माता-पिता को चिंता होती है कि उसे ठंड तो नहीं लग गई। रिसर्चर्स को अब पता लगा है कि सिर्फ इंसान ही नहीं, बेबी स्‍टार्स (baby stars) भी ‘छींकते’ हैं। तारों के ‘छींकने’ से गैस, धूल और चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है। आसान शब्‍दों में समझना हो तो बेबी स्‍टार्स में होने वाली यह प्रक्रिया हमारे ब्रह्मांड के लिए फायदेमंद है। स्‍पेसडॉटकॉम की एक रिपोर्ट में इस बारे में विस्‍तार से बताया गया है। 

तारों की छींक असल में एक विस्‍फोट है। यह तारों के डेवलपमेंट का अहम भाग है और वैज्ञानिकों को उस तारे के बारे में नई जानकारी देने में मदद करता है जैसे- शायद वह तारा भी‍ भविष्‍य में कभी ग्रहों से घिरा हुआ होगा। 

तारों की इस ‘छींक’ का पता जापान में क्यूशू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने लगाया है। उन्‍होंने गैस और धूल की डिस्क को स्‍टडी करने के लिए अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलीमीटर ऐरे (ALMA) का इस्‍तेमाल किया। 

पता चला कि एक डिस्‍क बेबी स्‍टार्स को घेरे रखती हैं और भविष्‍य में ग्रहों के निर्माण में भी मदद करती हैं। यह रिसर्च द एस्‍ट्रोफ‍िजिकल जर्नल में पब्लिश हुई है। 
 

कब जन्‍म लेते हैं तारे

रिपोर्ट के अनुसार, ब्रह्मांड में मौजूद मटीरियल के घने और ठंडे पैच जब वहां मौजूद गैसों और धूल के बादलों में जमा होते हैं, तो उससे बनने वाले गुच्‍छों में द्रव्‍यमान जमा होना शुरू हो जाता है। इसी प्रक्रिया में धीरे-धीरे एक डिस्‍क से घिरे प्रोटोस्‍टार का जन्‍म होता है। प्रोटोस्‍टार या बेबी स्‍टार लगातार द्रव्‍यमान बढ़ाते हैं। ऐसा तब तक होता है जब तक कि उनके कोर पर बहुत ज्‍यादा प्रेशर नहीं हो जाता। इस तरह एक तारे या सूर्य का निर्माण होता है। 

बहरहाल, बेबी स्‍टार्स की छींक यानी उनमें होने वाले विस्‍फोट का पता लगाने के लिए रिसर्चर्स ने MC 27 पर फोकस किया। यह पृथ्वी से लगभग 450 प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारों की एक नर्सरी है। रिसर्चर्स ने जो जानकारी जुटाई है, उन्‍हें लगता है कि इससे वैज्ञानिक कम्‍युनिटी तारों के बनने के समय होने वाली प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझ सकेगी।  

 

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