डॉलर के मुकाबले येन 34 साल के निचले स्तर पर, इन तीन भारतीय शेयरों को हो सकता है फायदा

जापान की मुद्रा येन (yen) हाल में 34 साल के कमजोर स्तर पर पहुंच गई है। बैंक ऑफ जापान द्वारा नेगटिव ब्याज दरों का दौर खत्म करने की दिशा में उठाए गए कदम की वजह से इसमें कमजोरी देखने को मिल रही है। आम तौर पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी से मुद्रा को मजबूती मिलती है, क्योंकि ब्याज दरें ज्यादा होने पर निवेशक अपना पैसा डेट फंडों में लगाते हैं। हालांकि, येन के मामले में केंद्रीय बैंक का अधिकारियों का मैसेज ज्यादा स्थिर रहा है। बाजार को लगता है कि मॉनिटरी पॉलिसी उदार बनी रहेगी और इसका असर येन पर देखने को मिल रहा है।

पिछले दो साल में तीसरी बार ऐसा हुआ है, जब डॉलर के मुकाबले येन 152 के निचले स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि, पिछले दो मौकों पर इसमें रिकवरी भी मजबूत रही थी। लिहाजा, बाजार को बैंक ऑफ जापान की तरफ से इस लेवल पर दखल की उम्मीद है।

बहरहाल, जापानी ऑटो फर्मों को कंपोनेंट्स सप्लाई करने वाली कंपनियों को येन में कमजोरी का फायदा मिल सकता है। उन भारतीय बैंकों को भी इससे लाभ हो सकता है, जिनका कारोबार येन मुद्रा से भी संबंधित है। इसके अलावा, जापान से गुड्स और सर्विसेज इंपोर्ट करने वाले भारतीय कारोबारों को येन में कमजोरी से राहत मिल सकती है।

यूनीमोनी फाइनेंशियल सर्विसेज के डायरेक्टर सीए कृष्णन के मुताबिक येन में इस स्तर पर कमजोरी से भारत के विभिन्न सेक्टरों, खास तौर पर ऑटो इंडस्ट्री को काफी फायदा होगा। उन्होंने बताया, ‘कई भारतीय कंपनियां टेक्नोलॉजी के आदान-प्रदान और कंपोनेंट्स के लिए जापानी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। येन में कमजोरी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में जापानी प्रोडक्ट्स सस्ते हो जाएंगे और यह भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री, खास तौर पर मारुति सुजुकी के लिए फायदेमंद होगा।’ मारुति सुजुकी ने वित्त वर्ष 2021 में अपनी नेट टोटल इनकम का 3.6 पर्सेंट अपनी पैरेंट इकाई सुजुकी मोटर कॉरपोरेशन (जापान) को दिया।

मारुति के अलावा ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज (Lumax Industries) और JTEKT इंडिया को इस कमजोरी का फायदा मिलेगा। ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज की पार्टनरशिप जापान की कंपनी स्टैनली इलेक्ट्रिक कंपनी के साथ है और उसे जापानी कंपनी को रॉयल्टी का भुगतान करना पड़ता है। JTEKT India का अपनी जापानी पैरेंट कंपनी JTEKT कॉरपोरेशन के साथ ट्रांजैक्शन येन में होता है।

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