Maruti Suzuki की मार्केट कैप पेरेंट कंपनी से भी डबल, शेयर में तेजी, ब्रोकरेज की है ये राय

Maruti Suzuki की मार्केट कैप काफी बढ़ गई है। कंपनी लगभग दस साल पहले अपने जापानी मूल-सुजुकी मोटर कॉर्प के आकार की लगभग आधी थी। लेकिन अब वैल्यूएशन के मामले में मारुति सुजुकी काफी आगे निकल गई है और ये दो गुना बढ़ गई है। ब्लूमबर्ग डेटा से पता चलता है कि शुक्रवार तक देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी का बाजार पूंजीकरण 46.9 बिलियन डॉलर है, जबकि सुजुकी का मार्केट कैप 22.1 बिलियन डॉलर है। मारुति ने जनवरी 2015 में पहली बार अपनी मूल कंपनी के मार्केट कैप को पीछे छोड़ दिया।

इसमें हुआ इजाफा

आश्चर्य की बात नहीं है कि मारुति सुजुकी के शेयर में तेजी ठोस बुनियादी बातों के कारण आई है। जबकि मारुति सुजुकी का नेट रेवेन्यू पिछले पांच वर्षों में 7.6% की चक्रवृद्धि दर से बढ़कर 1.13 लाख करोड़ रुपये हो गया है, इसी अवधि के दौरान इसकी मूल कंपनी के रेवेन्यू में 4.3% का इजाफा हुआ है। इसी तरह मारुति सुजुकी का नेट प्रॉफिट वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 23 के बीच 1% की चक्रवृद्धि दर से बढ़ा, जबकि इसी अवधि के दौरान सुजुकी मोटर के मुनाफे में सिर्फ आधा प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। दिसंबर 2023 तक सुजुकी मोटर के पास मारुति सुजुकी की 58.2% हिस्सेदारी थी।

शेयर में तेजी

मारुति सुजुकी का शेयर 22 मार्च को शेयर 395.85 रुपये (3.32%) चढ़ा। इसके साथ ही शेयर ने 12304 रुपये के भाव पर क्लोजिंग दी। एक साल में शेयर ने अपने निवेशकों को 47% रिटर्न दिया है। सुजुकी मोटर के शेयर में इस साल अब तक 19% की बढ़ोतरी हुई है। बेंचमार्क निफ्टी 50, 2024 में अब तक सिर्फ 2% बढ़ा है।

कंपनी को फायदा होने की संभावना

मारुति सुजुकी में नवीनतम रैली के पीछे कई कारक हैं। हालिया नोट में सीएलएसए ने कहा कि सीएनजी वाहनों में बढ़ोतरी से कंपनी को फायदा होने की संभावना है। ब्रोकरेज के अनुसार, सीएनजी यात्री वाहनों की बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2024 में 15% से बढ़कर वित्त वर्ष 2030 में 22% हो जाएगी। इसमें आगे कहा गया है कि नए मॉडल पेश करने से कंपनी को फायदा होगा।

टैक्स में कटौती से हो सकता है फायदा

मॉर्गन स्टेनली ने कहा, “अगर हाइब्रिड पर जीएसटी 12% तक कम हो जाता है, तो यह मारुति सुजुकी के लिए एक बड़ी जीत होगी, क्योंकि कई प्रतिद्वंद्वी टेक्नॉलोजी में निवेश नहीं कर रहे हैं।” टैक्स में कटौती से हाइब्रिड वाहनों के स्वामित्व की कुल लागत अधिक आकर्षक हो जाएगी।

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