हीनता को त्यागकर ही मनुष्य कर सकता है उन्नति

मनुष्य को गलतियों की मूर्ति कहा गया है। मनुष्य जीवन में गलतियाँ करता है और उन्हें अपने स्तर पर सुधारने का प्रयास करता है। जो व्यक्ति गलतियों को त्याग कर आगे बढ़ने में सफल हो जाता है, वह श्रेष्ठ व्यक्तियों की श्रेणी में आगे बढ़ने लगता है।

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