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हीरा बा में ‘जादुई स्पर्श’, उम्र 100 साल, जन्मदिन पर पीएम ने लिखा था यह ब्लॉग
हीरा बा में ‘जादुई स्पर्श’, उम्र 100 साल

PM Narendra Modi Mother: ‘मां’ केवल एक शब्द नहीं बल्कि भरोसा, विश्वास, स्नेह, धैर्य और न जाने कितने गुण इस एक शब्द में समाहित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी मां हीरा बा (हीराबेन) के बेहद करीब है। जब कभी वह अहमदाबाद में होते हैं तो उनसे मुलाकात करने जाते हैं। बीती 18 जून को हीरा बा का 100वां जन्मदिन था। बुधवार को हीरा बा को तबीयत खराब होने के बाद यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती किया गया है। पीएम मोदी अहमदाबाद में हैं। जारी बयान के मुताबिक फिलहाल हीरा बा की हालत स्थिर है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी ने humans of bombay को एक इंटरव्यू दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारे घर पर सुबह 5 बजे से ही लोगों की लाइन लग जाती थी। मेरी मां नवजात और छोटे बच्चों का पारंपरिक नुस्खों से इलाज करती थीं। हमारे घर के सामने आसपास के इलाके की कई माताएं अपने बच्चों को लेकर इकट्ठा हो जाती थीं। मां (हीरा बा) अपने ठीक कर देने वाले स्पर्श के लिए मशहूर थीं।
पीएम मोदी के ब्लॉग के कुछ अंश
हीरा बा के 100वें जन्मदिन पर पीएम मोदी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर ‘मां’ शीर्षक से उनके लिए एक ब्लॉग लिखा था। पेश है उसके कुछ प्रमुख अंश
अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं…
आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं। मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते। यानि 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है। पिछले ही हफ्ते मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो भेजे हैं। घर पर सोसायटी के कुछ नौजवान लड़के आए हैं, पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है, भजन कीर्तन चल रहा है और मां मगन होकर भजन गा रही हैं, मंजीरा बजा रही हैं। मां आज भी वैसी ही हैं। शरीर की ऊर्जा भले कम हो गई है लेकिन मन की ऊर्जा यथावत है।

मां की तपस्या, उसकी संतान को, सही इंसान बनाती है
आगे पीएम ने लिखा था, मां की तपस्या, उसकी संतान को, सही इंसान बनाती है। मां की ममता, उसकी संतान को मानवीय संवेदनाओं से भरती है। मां एक व्यक्ति नहीं है, एक व्यक्तित्व नहीं है, मां एक स्वरूप है। हमारे यहां कहते हैं, जैसा भक्त वैसा भगवान। वैसे ही अपने मन के भाव के अनुसार, हम मां के स्वरूप को अनुभव कर सकते हैं। मेरी मां का जन्म, मेहसाणा जिले के विसनगर में हुआ था। वडनगर से ये बहुत दूर नहीं है। मेरी मां को अपनी मां यानि मेरी नानी का प्यार नसीब नहीं हुआ था। एक शताब्दी पहले आई वैश्विक महामारी का प्रभाव तब बहुत वर्षों तक रहा था। उसी महामारी ने मेरी नानी को भी मेरी मां से छीन लिया था। मां तब कुछ ही दिनों की रही होंगी। उन्हें मेरी नानी का चेहरा, उनकी गोद कुछ भी याद नहीं है। आप सोचिए, मेरी मां का बचपन मां के बिना ही बीता, वो अपनी मां से जिद नहीं कर पाईं, उनके आंचल में सिर नहीं छिपा पाईं। मां को अक्षर ज्ञान भी नसीब नहीं हुआ, उन्होंने स्कूल का दरवाजा भी नहीं देखा। उन्होंने देखी तो सिर्फ गरीबी और घर में हर तरफ अभाव।
संघर्षों ने मेरी मां को उम्र से बहुत पहले बड़ा कर दिया
बचपन के संघर्षों ने मेरी मां को उम्र से बहुत पहले बड़ा कर दिया था। वो अपने परिवार में सबसे बड़ी थीं और जब शादी हुई तो भी सबसे बड़ी बहू बनीं। बचपन में जिस तरह वो अपने घर में सभी की चिंता करती थीं, सभी का ध्यान रखती थीं, सारे कामकाज की जिम्मेदारी उठाती थीं, वैसे ही जिम्मेदारियां उन्हें ससुराल में उठानी पड़ीं। इन जिम्मेदारियों के बीच, इन परेशानियों के बीच, मां हमेशा शांत मन से, हर स्थिति में परिवार को संभाले रहीं। वडनगर के जिस घर में हम लोग रहा करते थे वो बहुत ही छोटा था। उस घर में कोई खिड़की नहीं थी, कोई बाथरूम नहीं था, कोई शौचालय नहीं था। कुल मिलाकर मिट्टी की दीवारों और खपरैल की छत से बना वो एक-डेढ़ कमरे का ढांचा ही हमारा घर था, उसी में मां-पिताजी, हम सब भाई-बहन रहा करते थे। उस छोटे से घर में मां को खाना बनाने में कुछ सहूलियत रहे इसलिए पिताजी ने घर में बांस की फट्टी और लकड़ी के पटरों की मदद से एक मचान जैसी बनवा दी थी। वही मचान हमारे घर की रसोई थी। मां उसी पर चढ़कर खाना बनाया करती थीं और हम लोग उसी पर बैठकर खाना खाया करते थे।

मां ये भी बहुत गुनगुनाती थी
मां भी समय की उतनी ही पाबंद थीं। उन्हें भी सुबह 4 बजे उठने की आदत थी। सुबह-सुबह ही वो बहुत सारे काम निपटा लिया करती थीं। गेहूं पीसना हो, बाजरा पीसना हो, चावल या दाल बीनना हो, सारे काम वो खुद करती थीं। काम करते हुए मां अपने कुछ पसंदीदा भजन या प्रभातियां गुनगुनाती रहती थीं। नरसी मेहता जी का एक प्रसिद्ध भजन है “जलकमल छांडी जाने बाला, स्वामी अमारो जागशे” वो उन्हें बहुत पसंद है। एक लोरी भी है, “शिवाजी नु हालरडु”, मां ये भी बहुत गुनगुनाती थीं। घर चलाने के लिए दो चार पैसे ज्यादा मिल जाएं, इसके लिए मां दूसरों के घर के बर्तन भी मांजा करती थीं। समय निकालकर चरखा भी चलाया करती थीं क्योंकि उससे भी कुछ पैसे जुट जाते थे। कपास के छिलके से रूई निकालने का काम, रुई से धागे बनाने का काम, ये सब कुछ मां खुद ही करती थीं। उन्हें डर रहता था कि कपास के छिलकों के कांटें हमें चुभ ना जाएं। उनका एक और बड़ा ही निराला और अनोखा तरीका मुझे याद है। वो अक्सर पुराने कागजों को भिगोकर, उसके साथ इमली के बीज पीसकर एक पेस्ट जैसा बना लेती थीं, बिल्कुल गोंद की तरह। फिर इस पेस्ट की मदद से वो दीवारों पर शीशे के टुकड़े चिपकाकर बहुत सुंदर चित्र बनाया करती थीं। बाजार से कुछ-कुछ सामान लाकर वो घर के दरवाजे को भी सजाया करती थीं।
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जोशीमठ में आफत लेकर आई बारिश, रिलीफ कैंपस पहुंचे सीएम धामी तो रो पड़े लोग
रिलीफ कैंपस पहुंचे सीएम धामी तो रो पड़े लोग

Joshimath Sinking: जोशीमठ में हालात और खराब हो गए हैं। सरकार की तरफ से अभी तक ऐसे इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिससे लोगों की दिक्कतें कम हो। ऐसे में बारिश एक नई तरह की टेंशन लेकर आई है। मौसम ने सबकी चिंता को और बढ़ा दिया है। जो दरारें घरों में बनी हैं वह और बढ़ सकती है। पूरे इलाकों को रेड जोन घोषित कर दिया गया है। माकानों को चिन्हित कर उन्हें खाली कराए जा रहे हैं। इस बीच सीएम धामी जब राहत कैंप पहुंचे तो उन्हें गुस्सा का सामना करना पड़ा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार सुबह जोशीमठ के नरसिंह मंदिर में पूजा अर्चना की। सीएम धामी बुधवार रात से ही जोशीमठ में हैं। उन्होंने बीती रात अलग-अलग राहत कैंपों में जाकर प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने रिलीफ कैंपस में पहुंचकर लोगों की समस्याएं जानी और उन्होंने हर संभव मदद का आश्वासन किया।रिलीफ कैंप में खुद सीएम पुष्कर सिंह धामी को अपने बीच देख कई महिलाएं रोने लगीं। लोगों ने मुख्यमंत्री से तुरंत सहायता की अपील की।

Weather Update: दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में गुरुवार को भीषण शीतलहर से राहत मिली। आज सुबह क्षेत्र में कोहरा कम होने से एनसीआर में दृश्यता में सुधार हुआ। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तरी भारत में कोहरे की स्थिति में वर्तमान पश्चिमी विक्षोभ और परिणामस्वरूप तेज सतही हवाओं के कारण काफी सुधार हुआ है।
इसके साथ ही अब भारत मौसम विज्ञान (IMD) ने कई राज्यों में बारिश को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। राजधानी दिल्ली में भी मौसम में थोड़ा बदलाव देखने को मिला है। न्यूनतम तापमान अब बढ़ने लगा है। तेज हवाओं के साथ हल्कि बूंदा-बांदी का दौर जारी है।
उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में हल्की बारिश हो सकती है। पश्चिमी डिस्टर्बेंस की वजह से उत्तर भारत में मौसम करवट ले सकता है। दिल्ली समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अगले चार दिनों तक शीतलहर से राहत रहेगी। इसके बाद एक बार फिर मौसम के बदलने की संभावना है। बादल छाए रहने और हल्की बारिश के बीच गुरुवार को राजधानी में न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की संभावना है।
दिल्ली में हल्की बारिश का अनुमान
आईएमडी ने बुधवार को कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत को प्रभावित करने वाले मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से राष्ट्रीय राजधानी में अगले दो दिनों तक बादल छाए रहेंगे और हल्की बारिश होगी। उसी दिन, घने कोहरे की चादर ने दिल्ली में सुबह दृश्यता को घटाकर केवल 50 मीटर कर दिया, जिससे वाहनों और ट्रेनों की आवाजाही बाधित हो गई। आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा, “घने से बहुत घने कोहरे की एक परत पंजाब से लेकर बिहार, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक फैली हुई है।” कोहरे के कारण 95 ट्रेनें देरी से चल रही हैं, जबकि आईजीआई हवाईअड्डे पर उड़ानें प्रभावित हुई हैं।

Vande Bharat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 जनवरी को सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन से वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को वर्चुअली हरी झंडी दिखाएंगे। जानकारी के मुताबिक यह देश की आठवीं वंदे भारत ट्रेन होगी। इससे पहले नई दिल्ली-वाराणसी, नई दिल्ली-वैष्णो देवी, गांधीनगर-मुंबई, चेन्नई-मैसूर समेत अन्य रूट पर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जाती है।
Prime Minister Narendra Modi will virtually flag off the Vande Bharat Express train from Secunderabad Railway Station on 15th January. pic.twitter.com/6aztu8PPVV
— ANI (@ANI) January 11, 2023
बता दें वंदे भारत ट्रेन में ऑटोमेटिक स्लाइट डोर लगे हुए होते हैं। इसके हर गेट के बाहर ऑटोमेटिक फुट रेस्ट भी होता है। वंदे भारत ट्रेन की सीटें पैसेंजर्स की सुविधा के लिए रीक्लाइनिंग होती हैं। हर सीट के नीचे चार्जिंग प्वाइंट्स भी दिए गए होते हैं। ट्रेन में पैसेंजर्स के एंटरटेनमेंट का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। इसमें 32 इंच की टीवी स्क्रीन भी लगी हुई होती है। इस ट्रेन की ऑपरेशनल स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है।
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