Char dham yatra kedarnath temple mystery even after the kapat is close flame keeps burning

Kedarnath Temple: देवभूमि उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में केदारनाथ भी एक है. केदारनाथ धाम वह है जहां आरंभ और अंत एक साथ मिलते हैं. यहां शिव की उपस्थिति का अहसास होता है. इस यात्रा से मुक्ति का मार्ग भी निश्चित हो जाता है. इसका वर्णन शिव पुराण में मिलता है कि, जो व्यक्ति जीवन में केदारनाथ धाम की यात्रा करता है वह मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करता है. साथ ही केदारनाथ दर्शन के बाद यहां मौजूद कुंड का जलपान करने से भी व्यक्ति जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है. केदारनाथ की संपूर्ण महिमा का वर्णन शिव महापुराण में किया गया है.

केदारनाथ धाम के दीपक का रहस्य

शिव लोक कहे जाने वाले केदारनाथ धाम का रहस्य भी हैरान कर देने वाला है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है. इसे पंच केदार भी कहा जाता है,क्योंकि इसका निर्माण पांडवों के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र महाराज जममेजा द्वारा कराया गया था. बाद में मंदिर का  जीर्णोद्धार  आदि शंकराचार्य ने कराया.

केदारनाथ मंदिर 6 महीने के लिए बंद रहता है और 6 महीने के लिए खोला जाता है. शुक्रवार 2 मई को आज सुबह 7 बजे मंत्रोच्चारण और पूजा के बाद केदारनाथ मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए हैं और आगामी 6 महीनों तक मंदिर के कपाट खुले रहेंगे. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि यहां हजारों वर्षों से दीपक जल रहा है.

केदारनाथ मंदिर के कपाट जब 6 माह के लिए बंद कर दिए जाते हैं तब भी यह दीपक निरंतर जलता रहता है. इतना ही नहीं आसपास रहने वाले लोगों का यह कहना है कि मंदिर के बंद होने के बाद मंदिर के भीतर से घंटियों की आवाज आती है. इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान सका. लेकिन पुराणों की माने तो, जब मंदिर 6 माह के लिए बंद रहता है तब यहां देवतागण पूजा करते हैं. यानि केदारनाथ मंदिर में छह महीने मनुष्य पूजा करते हैं और छह महीने देवतागण पूजा करते हैं.

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