क्या पाकिस्तान के इशारे पर बांग्लादेश ने शेख हसीना को सुनाई सजा-ए-मौत? पूर्व PM के पास अब सिर्फ 2 विकल्प

Sheikh Hasina Sentenced to Death: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बीते सोमवार उन्हीं के देश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने सजा-ए-मौत की सजा सुनाई. साल 2024 में छात्राओं के विद्रोह के बाद शेख हसीना को अपनी जान बचाने के लिए भारत में शरण लेनी पड़ी. तब से ही वो दिल्ली में किसी गुप्त स्थान पर रह रही हैं. इस बीच शेख हसीना के कई समर्थकों ने बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन भी शुरू कर दिये. ICT ने बांग्लादेश में पिछले साल हुए विद्रोह को दबाने के लिए शेख हसीना द्वारा कथित तौर पर गोली चलवाने और मासूमों की जान लेने का दोषी पाया.

शेख हसीना की सजा के पीछे पाकिस्तान की साजिश?

अब शेख हसीना को फांस की सजा सुनाए जाने के मामले में पाकिस्तान का एंगल भी सामने आ रहा है. दरअसल, बांग्लादेश के गृह सचिव नसीमुल गनी एक बार फिर से पाकिस्तान में अपने लंबे दौरे के लिए पहुंचे हैं. वो करीब 10 दिनों से पाकिस्तान में ही है. शेख हसीना विवा के बीच नसीमुल गनी का ये पाकिस्तानी दौरा कई सवाल खड़े कर रहा है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान के इशारे पर ही शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई गई है, ताकि इससे बांग्लादेश और भारत के बीच कूटनीतिक टकराव का बीज बोया जा सके.

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भारत-बांग्लादेश के बीच विवाद चाहता है पाकिस्तान!

पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को अच्छे से पता है कि बीत 15 वर्षों से भारत और शेख हसीना सरकार के बीच संबंध गहरे रहे हैं और विद्रोह के बाद हिंदुस्तान ने ही अपदस्थ प्रधानमंत्री को दिल्ली में शरण दी. ऐसे में इसकी पूरी आशंका है कि पाकिस्तान शेख हसीना के बहाने भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद खड़ा करना चाहता है. शेख हसीना को फांसी की सजा दिए जाने के कुछ देर बाद ही बांग्लादेश ने प्रत्यर्पण संधि का हवाला देते हुए भारत से शेख हसीना को वापस भेजने का आग्रह किया था.

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शेख हसीना के पास अब कौन-कौन से विकल्प?

शेख हसीना के पास फिलहाल 30 दिन का विकल्प है. वो फांसी के फैसले के खिलाफ तब तक अपील नहीं कर सकती जब तक वो सरेंडर या गिरफ्तार नहीं हो जातीं. मौजूदा समय में शेख हसीना के पास इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती देने के लिए 17 दिसंबर, 2025 तक का ही वक्त है. इसके बाद वो अपील करने का अधिकार भी खो देंगी. इसके अलावा उनके पास दूसरा विकल्प ये हैं कि वो भारत में ही बनी रहें और इस बात की उम्मीद करती रहें कि भारत सरकार उन्हें बांग्लादेश के हवाले नहीं करेगी.

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