
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर में इस्तेमाल होने वाला आईना केवल चेहरा ही नहीं, बल्कि आपके भाग्य को भी दर्शाता है. वास्तु और ज्योतिष में, उत्तप-पूर्व दिशा जिसे ईशाण कोण भी कहा जाता है, वहां बृहस्पति का वास होता है.

गुरु ग्रह जो बुद्धि, समृद्धि और दिव्य प्रकाश का रूप है. जब हम आईने को सही जगह रखते हैं तो यह गुरु के सात्विक स्पंदनों (vibrations) को बढ़ाने का काम करता है, जिससे आपके घर में स्पष्टता, प्रचुरता और पवित्रता का संचार होता है.

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में आईने को हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में रखें, ताकि यह सूर्य की रोशनी और पूजा कक्ष को प्रतिबिंबित करें. इससे गुरु की सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

दक्षिण-पश्चिम दिशा में आईना रखने से बचना चाहिए, अन्यथा आपको भ्रम, अंहकार और विकास में रुकावट की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा घर के आईने को साफ रखने के साथ चमकदार रखें, उसपर धूल जमना गुरु की कृपा को रोकने का काम करता है.

गुरु को प्रसन्न करने के लिए आप सुनहरे फ्रेम वाले आईने का इस्तेमाल करें. गुरुवार के दिन इसके सामने दीया जलाएं. आईने के पास तुलसी या फूल रखने से गुरु ग्रह की पवित्रता बनी रहती है.

जब हमारा आईना साफ और चमकदार रहता है तो गुरु की दिव्यता से आपका ज्ञान गहराता है, धन का प्रवाह होने के साथ गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आपका आईना केवल कांच ही नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय प्रतिबिंब भी है.
Published at : 13 Nov 2025 04:31 PM (IST)
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