चीन के बाद अब अमेरिका ने शुरू की भारत की जासूसी? समंदर में भेज दिया ओसियन टाइटन; जानें कैसे खुला राज 


भारत के मिसाइल परीक्षण की रेंज देखकर चीन और पाकिस्तान के साथ-साथ अमेरिका भी सकते में है. चीन के बाद अब अमेरिका ने अपने टोही युद्धपोत ओसियन टाइटन को हिंद महासागर में भेजा है. दरअसल डीआरडीओ 15-17 अक्टूबर के बीच बंगाल की खाड़ी में 3,550 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइल का टेस्ट करने जा रहा है. हाल के दिनों में ओसियन टाइटन को मालदीव की राजधानी माले में देखा गया था. 

भारत ने इस मिसाइल की रेंज को तीन दिन में तीन बार बढ़ाया है. ओसियन टाइटन के साथ ही चीन का युआन वांग-5 भी मलक्का स्ट्रेट पार कर हिंद महासागर पहुंचने वाला है ताकि भारत की इस मिसाइल पर नजर रखी जा सके. चीन भी माले से भारत के मिसाइल परीक्षण पर नजर रखता है.

क्या हैं चीनी और अमेरिकी जासूसी वॉरशिप की खासियत?

चीनी युआन वांग 5 मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग सिस्टम का अहम हिस्सा है और रॉकेट, सैटेलाइट के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने में सक्षम है. इसे 2007 में चीनी नेवी में शामिल किया गया था और यह अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में काम करता है. वहीं अमेरिका का ओसियन टाइटन 1989 में विकसित एक अनुसंधान पोत है, जिसमें डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन और सर्वेक्षण उपकरण लगे हैं. माना जा रहा है कि अमेरिका इसका उपयोग समुद्री निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए कर रहा है.

भारत ने जारी किया था NOTAM

भारत ने 15 से 17 अक्टूबर तक बंगाल की खाड़ी के ऊपर के क्षेत्र को डेंजर जोन घोषित करते हुए NOTAM (नोटिस टू एयरमैन) और मैरिटाइम सिक्योरिटी नोटिफिकेशन जारी किया गया था. भारत की ओर से 3550 किलोमीटर के दायरे को ‘नो फ्लाई जोन’ घोषित कर दिया गया, जिसका मतलब है कि तय समय पर इस क्षेत्र से विमान नहीं उड़ सकेंगे, जिसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत एक बार फिर लंबी दूरी की मिसाइल का परीक्षण कर सकता है. 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह के NOTAM भारत नियमित रूप से जारी करता है ताकि हवाई और समुद्री यातायात की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. ये कदम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप हैं और डीआरडीओ व स्ट्रैटजिक फोर्सेज कमांड (SFC) के ज्वाइंट ऑपरेशन से पहले उठाए जाते हैं.  
 

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