नई दिल्ली। कुण्डा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Kunda MLA Raghuraj Pratap Singh alias Raja Bhaiya) का अपनी पत्नी से विवाद चल रहा है। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस बीच उनकी पत्नी सोशल मीडिया पर आएं दिन कुछ न कुछ राजा भैया के लिए पोस्ट किया करती है, लेकिन राजा भैया ने कभी इसका जवाब नहीं दिया। इसी बीच उनके बेटे शिवराज प्रताप सिंह (Shivraj Pratap Singh) ने अपने माता पिता को लेकर सोशल मीडिया पर एक बहुत ही भावुक पोस्ट किया है। पोस्ट में उन्होने लिखा कि मां अपनी मर्जी से घर छोड़ कर गई है। वह कोर्ट के माध्यम से मुकदमा लड़े न कि अपनी उर्जा सोशल मीडिया पर बर्बाद करे।
पढ़ें :- राजा भैया से बड़ा कोई नहीं है ठाकुरों को नेता, वो हमारा बहुत सम्मान करते हैं- शिवपाल यादव
राजा भैया के बेटे शिवराज प्रताप ने सिंह ने सोशल मीडिया के एक्स पर लिखा कि जय सियाराम मैं पहली बार सोशल मीडिया पर इस विषय में पोस्ट कर रहा हूं और चाहूंगा कि इसके बाद इस विषय पर कुछ न लिखना पड़े। इस प्रकार बदनाम करने के लिए फ़र्जी पोस्ट करना कोई बहादुरी का काम नहीं है। हमारे माता पिता (मम्मा और दाऊ) गत करीब दस वर्ष से अलग रह रहे हैं, उसके पहले कुछ वर्ष परिवार के बड़ों के कहने पर हम बच्चों की ख़ातिर दाऊ ने मम्मा के साथ एक छत के नीचे रहना स्वीकार किया, लेकिन दोनों में संबंध सामान्य नहीं थे। बाद में मम्मा ने दाऊ को बिना बताए घर छोड़ दिया और दिल्ली के मकान में जाकर रहने लगीं।
हम सब बड़े हो गए तो दाऊ ने कोर्ट में तलाक की अर्जी डाली, तभी से संपत्ति व रुपयों की चाह में मम्मा ने सोशल मीडिया से लेकर मीडिया और संबंधियों में दाऊ की बदनामी (badvertisement) शुरु कर दिया। बहुत दुखद है, लेकिन अधिक कहना सोशल मीडिया पर उचित नहीं। मैंने स्वयं दोनों के बीच मध्यस्थता (mediation) का प्रयास किया, जिससे दोनों अपना अपना जीवन आराम से जी सकें, लेकिन मेरी और मेरे भाई की इस पहल को हमारी मम्मा ने ठुकरा दिया। हमारे बाबा, आजी एवं परिवार के अन्य वरिष्ठ जनों ने भी अनेक प्रयास किया लेकिन हमारी मां ने किसी की बात नहीं सुनी। कोर्ट में उन्होंने कहीं 50 करोड़ रुपये तो कहीं उसके ऊपर से 100 करोड़ रुपये एक मुश्त मांगा है साथ ही 25 लाख रूपसे प्रति माह अलग। इनके इसी स्वभाव के चलते दाऊ ही नहीं, इनके अपने माता-पिता, सास-ससुर, चचेरे ममेरे भाई-बहन और यहां तक की हम दोनों भाई भी इनसे बात नहीं करते हैं। इनकी किसी से नहीं बनती है, लेकिन ये महिला कार्ड और विक्टिम कार्ड के ज़रिए लोगों को सोशल मीडिया पर भड़का रही हैं। जितने वर्ष ये यहां रहीं नौकरों को मारा पीटा। मुकद्दमे इन्होंने कई कर रखे हैं। उसे मुकद्दमे की तरह लड़ना चाहिए सही ग़लत का फ़ैसला न्यायालय करेगा न की सोशल मीडिया पर पोस्ट लाइक करने वाले पार्टी विशेष के लोग।
जय सियाराम
मैं पहली बार सोशल मीडिया पर इस विषय में पोस्ट कर रहा हूं और चाहूंगा कि इसके बाद इस विषय पर कुछ न लिखना पड़े।इस प्रकार बदनाम करने के लिए फ़र्जी पोस्ट करना कोई बहादुरी का काम नहीं है।
हमारे माता पिता( मम्मा और दाऊ) गत करीब 10 वर्ष से अलग रह रहे हैं, उसके पहले कुछ…
— Shivraj Pratap Singh (@shivrajpsbhadri) September 20, 2025
दाऊ के बारे में सोशल मीडिया पर बहुत कुछ बोला गया
दाऊ के बारे में पिछले दिनों बहुत कुछ कहा गया लेकिन ये बताना आवश्यक है कि दाऊ ने हम सबका अच्छा भरण पोषण किया, अच्छी शिक्षा दी और धर्म संस्कार के साथ अपार स्नेह दिया। हमारे दाऊ ने इस विषय पर सार्वजनिक तौर पर अब तक कुछ नहीं कहा है और शायद कहेंगे भी नहीं इसलिए मुझे लिखना पड़ रहा है। दुख इस बात का है कि हमारी मम्मा बदले की भावना में इतना बह गयी हैं कि उन्हें अपने बच्चों का भविष्य ख़ासकर बेटियों की शादी तक की चिंता नहीं है। इनका एजेंडा कुछ और है और वह बाद में लोगों को पता चल ही जाएगा। इस प्रकार बेकार पोस्ट करने से एक भी केस में किसी प्रकार की मदद नहीं मिलेगी। ट्वीट करके हमारी मम्मा केवल दाऊ को बदनाम करना चाह रही हैं जिससे एक जन प्रतिनिधि के तौर पर उनकी छवि के हानि पहुंचे दाऊ का जीवन एक खुली किताब है, पूरा कुंडा उनका परिवार है।
मां के पास है दाऊ से अधिक संपत्ति
शिवराज प्रताप सिंह ने कहा कि रही बात संपत्ति की तो हमारी मां के पास दाऊ से अधिक अचल संपत्ति है। उन्हें कहीं कोई ठोकर खाने की ज़रूरत नहीं है। आराम का जीवन जी रही हैं, कोर्ट में महंगे से महंगा वकील खड़ा कर रही हैं। कई वर्ष दाऊ से कहीं अधिक इनकम टैक्स भी भरा है। आशा करता हूं कि मेरी इस पोस्ट के बाद वे अपनी ऊर्जा अदालत में मुकद्दमा लड़ने में लगायें न की सोशल मीडिया पर।
Read More at hindi.pardaphash.com