चीन का नया ‘Doomsday’ हथियार, जो अमेरिका के कई शहरों में ला सकता है सुनामी; ट्रंप की बढ़ी टेंशन!

चीन एक नए तरह के हथियार पर काम कर रहा है, जिसका नाम परमाणु टॉरपीडो है. ये पूरे विश्व के लिए एक नया खतरा माना जा रहा है. चीन का यह प्रोजेक्ट सीधे तौर पर रूस के पोसाइडन टॉरपीडो से प्रेरित है, जिसे ‘डूम्सडे वेपन’ कहा जाता है. परमाणु टॉरपीडो एक पानी के नीचे चलने वाला मानवरहित ड्रोन हथियार है, जिसे परमाणु वॉरहेड से लैस किया जा सकता है. इसका उद्देश्य समुद्र तटों के पास विस्फोट कर एक रेडियोएक्टिव सुनामी उत्पन्न करना है. चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती देने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता है. इस बात की टेंशन अमेरिका को हो रही है.

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, परमाणु टॉरपीडो में छोटा परमाणु रिएक्टर होगा, जो इसे लंबी दूरी तक लगातार चलने की क्षमता देगा. इसे 30 नॉट्स (56 किमी/घंटा) की स्पीड से 200 घंटे तक ऑपरेट किया जा सकता है. इसका आकार रूस के 65 फीट लंबे पोसाइडन से छोटा, इसलिए इसे सामान्य टॉरपीडो ट्यूब से लॉन्च किया जा सकता है.

रूस का पोसाइडन परमाणु टॉरपीडो 

रूस ने पोसाइडन नाम का परमाणु टॉरपीडो पहले ही बना लिया है. यह दुनिया का पहला परमाणु-संचालित टॉरपीडो है. दावा किया गया है कि यह 100 मेगाटन तक का परमाणु वॉरहेड ले जा सकता है. यह तेज रफ्तार से हजारों किलोमीटर पानी के भीतर चल सकता है और गहरी गहराई में भी काम करता है. 2023 में इसका पहला बैच रूस की पनडुब्बी बेलगोरोड में तैनात किया गया.

चीन का नया टॉरपीडो

चीन ने रूस से प्रेरणा लेकर अपना परमाणु टॉरपीडो बनाने की योजना बनाई है. रिपोर्ट्स के अनुसार यह छोटा और सस्ता होगा. इसे सामान्य टॉरपीडो ट्यूब से भी लॉन्च किया जा सकेगा. इसमें छोटा परमाणु रिएक्टर लगाया जा सकता है जो इसे सैकड़ों घंटे तक 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चला सकेगा. चीन इसे बड़े पैमाने पर बनाने की योजना पर काम कर रहा है.

सुनामी और पर्यावरणीय खतरा

अगर परमाणु टॉरपीडो से हमला होता है तो तटीय शहर डूब सकते हैं. लाखों लोग बेघर हो सकते हैं. समुद्री जीवन और पर्यावरण को भारी नुकसान होगा. समुद्र का पानी रेडियोएक्टिव हो सकता है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इतनी बड़ी सुनामी पैदा करना तकनीकी रूप से कठिन है, इसलिए यह हथियार असली युद्ध से ज्यादा मनोवैज्ञानिक डर पैदा करने का जरिया भी हो सकता है.

क्या है चीन की रणनीति?

चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों पर दबाव डालना चाहता है. AUKUS समझौते के बाद अमेरिका और उसके सहयोगी परमाणु पनडुब्बियों की योजना बना रहे हैं. चीन इस नए हथियार से अपनी ताकत दिखाना चाहता है. साथ ही यह ताइवान पर भी रणनीतिक दबाव बनाने का तरीका हो सकता है.

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