
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को जन्माष्टमी के 6 दिन बाद कान्हा की छठी मनाई जाती है. श्रीकृष्ण की छठी का दिन भक्तों के लिए जन्माष्टमी की तरह ही विशेष होता है. कान्हा जी की छठी का आयोजन ठीक वैसे ही किया जाता है, जैसे घर पर किसी नवजात शिशु के जन्म के बाद होता है.

छठी वाले दिन कान्हा को स्नान कराया जाता है, नए वस्त्र पहनाए जाते हैं, काजल लगाया जाता है, आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है और तरह-तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं. आइये जानते हैं कान्ही जी की छठी पर किन चीजों का लगाएं भोग.

कान्हा की छठी पर भोग लगाना धार्मिक विधि के साथ ही पारंपरिक तरीका भी है, जिसमें बाल स्वरूप कान्हा को गोद में उठाकर सभी भोग बारी-बारी उनके मुंह में लगाया जाता है. वैसे तो कान्हा क छप्पन भोग लगाने का विधान है. लेकिन ऐसे पांच भोग जोकि 56 भोग के समान माने जाते हैं और कान्हा को ये भोग अतिप्रिय भी है.

कढ़ी चावल- कान्हा जी की छठी पर कढ़ी चावल का भोग लगाने की परंपरा है. इसका कारण यह है कि, श्रीकृष्ण को बचपन से कढ़ी चावल का भोजन पसंद था. हल्का और सुपाच्य होने के कारण मां यशोदा भी उन्हें यही परोसती थी. इसलिए कान्हा को कढ़ी चावल का भोग लगाया जाता है.

खीर का भोग- कान्हा को दूध से बनी चीजें भी बचपन से ही बहुत प्रिय थी. इसलिए छठी के दिन उन्हें खीर का भोग भी लगाया जाता है.

माखन मिश्री- माखन-मिश्री तो कान्हा के प्रिय भोगों में एक है. इसे बनाना भी बहुत आसान है. मिश्री से मिठास आती है और माखन तो कान्हा को बचपन से ही पसंद है. माखन चोरी करके खाने के कारण ही उनका एक नाम माखन चोर भी पड़ा.

सूजी का हलवा- घी, केसर, मेवे और दूध से बना सूजी का हलवा बहुत स्वादिष्ट और पौष्टिक भी होता है. सूजी के हलवा का भोग भी कान्हा जी की छठी पर लगा सकते हैं. हलवा बनाने के बाद जब यह ठंडा हो जाए आप इसमें ऊपर से तुलसी पत्ता डालकर भी भोग लगा सकते हैं.

धनिया पंजीरी- जन्माष्टमी की तरह की आप कान्हा की छठी पर भी धनिया पंजीरी का भोग लगा सकते हैं. यह भोग कृष्ण को बहुत पसंद है. धनिया पंजीरी के भोग को श्रीकृष्ण प्रेम पूर्वक ग्रहण करते हैं.
Published at : 21 Aug 2025 01:26 AM (IST)
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