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14 जून 2025 से 12 अगस्त 2025 तक बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि के आर्द्रा नक्षत्र में रहेगा. यह नक्षत्र क्रांति, विद्रोह और तकनीकी उथल-पुथल का प्रतीक माना जाता है. पिछले अनुभवों के आधार पर यह समय राजनीतिक विभाजन, प्राकृतिक आपदाएं और तकनीकी उन्नति के बड़े संकेत देता है.

आर्द्रा नक्षत्र का रहस्य
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, आर्द्रा नक्षत्र का जन्म स्वयं ब्रह्माजी के क्रोध से हुआ था. इस नक्षत्र को क्रोध से जन्मा विनाश और नवाचार का प्रतीक माना गया है. ब्रह्माजी के चार मानस पुत्र-सनक, सनंदन, सनातन, सनतकुमार-जब ब्रह्माजी के सृजन कार्य को अस्वीकार कर सन्यासी हो गए, तब उनके आक्रोश से यह नक्षत्र प्रकट हुआ.

इसका स्वामी है रुद्र हैं जो शिव के उग्र रूप माने गए हैं. यह नक्षत्र विनाश, विरोध, विद्रोह और विज्ञान से जुड़ा है. इसलिए सभी 27 नक्षत्रों में इसे महत्वपूर्ण माना गया है.

गुरु जब आर्द्रा में होंगे तो क्या होगा?
1. सरकारों और नेताओं का विरोध चरम पर होगा. दुनियाभर की राजनीतिक पार्टियों में आंतरिक बगावत बढ़ेगी. कई नेताओं की छवि को गहरा झटका लगेगा. कुछ देशों में सत्तापलट या राष्ट्रपति शासन जैसी स्थितियां उभर सकती हैं.

भारत में कुछ राज्यों में आपातकालीन हालात या राज्यपाल शासन का खतरा. ग्रह योग संकेत देते हैं कि ये समय सत्ता के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है.

2. आतंकवाद और सामाजिक अशांति की आशंका बढ़ेगी. सामाजिक असहमति और विद्रोह की लहर भी देखने को मिल सकती है. बड़ी आतंकी घटनाएं सामने आ सकती हैं, जिससे जनता में भय और अविश्वास फैलेगा. आर्द्रा के प्रभाव से उत्पन्न मनस्थिति अराजकता को जन्म दे सकती है.

3. एयरलाइन और स्पेस इंडस्ट्री में क्रांति और त्रासदी की स्थिति बनती दिख रही है. हवाई तकनीक, ड्रोन, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष मिशनों में तेजी आएगी. भारत का मंगल मिशन (Mangalyaan 2) को लेकर प्रगति के संकेत मिल रहे हैं.

लेकिन साथ में हवाई दुर्घटनाएं बढ़ने का योग भी नजर आ रहा है. वाणिज्यिक और सैन्य दोनों क्षेत्रों मे ऐसी स्थिति देखने को मिल सकती है. गौरतलब है कि वर्ष 2013 में भी जब गुरु आर्द्रा में था, तब बड़ी दुर्घटनाएं हुई थीं.

4. प्राकृतिक आपदाओं का तांडव भी देखने को मिल सकता है. बृहस्पति के आर्द्रा में गोचर भूकंप, बाढ़, तूफान, ग्लेशियर विस्फोट का खतरा बढ़ सकता है. जलवायु आपदाएं दुनिया भर में रिकॉर्ड तोड़ तबाही ला सकती हैं.

भारत के उत्तर और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों पर विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है. 2013 में गुरु आर्द्रा में ही था जब केदारनाथ बाढ़ में 6000 से अधिक जानें गई थीं. 

इस नक्षत्र को लेकर क्या क्या कहते हैं शास्त्र
‘आर्द्रा नक्षत्रस्य प्रभावे, विप्लवो जायते लोकस्य.’ यानि आर्द्रा नक्षत्र में लोक में उथल-पुथल होती है. बृहस्पति ज्ञान, धर्म और समाज का प्रतिनिधि है. जब यह आर्द्रा में आता है, तो ज्ञान-प्रणालियों की पुनर्रचना, धार्मिक-राजनीतिक संस्थानों की चुनौती और प्राकृतिक चुनौतियों की आशंका बढ़ जाती है.

तकनीकी और नवाचार का विस्फोट
AI, डिफेंस टेक्नोलॉजी, क्वांटम रिसर्च, अंतरिक्ष विज्ञान में जबरदस्त ग्रोथ के संकेत मिल रहे हैं. लेकिन ये प्रगति नैतिक और सामाजिक सवालों को भी जन्म दे सकती है.

कुल मिलाकर यह गुरु का गोचर परिवर्तन का कारक भी बन सकता है, लेकिन कीमत भी चुकानी पड़ सकती है. बृहस्पति का आर्द्रा नक्षत्र में गोचर बड़े परिवर्तन और संकट दोनों की सूचना देता है. यह समय राष्ट्रों, संगठनों और समाज के लिए आत्मपरीक्षण और सावधानी का भी है.

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