पाकिस्तान और भारत के बीच बढ़े तनाव से गिर सकता है शेयर बाजार, लेकिन न घबराएं निवेशक; जल्द रिकवरी भी मुमकिन: नीलेश शाह – stock market may see a fall after escalated tension between india and pakistan after recent attacks but investors need not panic

भारत और पाकिस्तान के बीच ताजा हमलों के बाद बढ़े तनाव से भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है। लेकिन निवेशक काफी हद तक पोर्टफोलियो में हिट के लिए तैयार हैं। इसकी वजह है कि जो हुआ, वह होना चाहिए था। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला नाकाबिले बर्दाश्त है। भारतीय बाजार में गिरावट आ सकती है। लेकिन इसे लेकर निवेशकों को घबराना नहीं है।

यह भी उम्मीद है कि मार्केट इन हमलों को पॉजिटिवली ले और मार्केट इसे सलामी दे। मार्केट एक्सपर्ट नीलेश शाह का मानना है कि कारगिल युद्ध के दौरान भी शेयर बाजार गिरा था लेकिन जल्द रिकवरी भी हुई थी। नीलेश शाह ने कहा कि हर भारतीय आज अपनी सेना के साथ है। पाकिस्तान की इतने सालों की घिनौनी हरकतों के बाद अब भारत उन्हें सबक सिखा रहा है।

शाह ने कहा कि जब फुल स्केल वॉर होती है तो सरकार खर्चा करती है और महंगाई बढ़ती है। हर तरह के मार्केट पर विपरीत असर होता है। लेकिन हमें 1965 या 1971 की वॉर का कोई अनुभव नहीं है। हमने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान का अनुभव देखा है।

उस वक्त मार्च महीने में निफ्टी जो 1000 से ज्यादा पर था, 15 प्रतिशत नीचे आ गया था। उस वक्त भारत ने कहा कि वह एलओसी क्रॉस नहीं करेगा, तब लोगों को लगा कि यह वॉर लिमिटेड रहेगी। फुल स्केल नहीं होगी। तब उस माहौल में मार्केट ने बढ़ना चालू किया। मई 1999 में जब जंग शुरू हुई तो मार्केट ने 8 प्रतिशत की रिकवरी कर ली। उस वक्त भारत की जीत के आसार दिख रहे थे। 3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक मार्केट लगातार बढ़ता रहा। इसके बाद जब युद्ध का अंत हुआ तो उसी एक साल में निफ्टी तकरीबी 20 प्रतिशत और बढ़ गया।

शाह का कहना है कि अगर इस बार भी संघर्ष कारगिल युद्ध की तरह ही लिमिटेड रहा तो मार्केट शायद ज्यादा प्रभावित न हो। लेकिन अगर फुल स्केल वॉर होती है और भारत की जीडीपी, महंगाई और बाकी इकोनॉमिक फैक्टर्स पर प्रतिकूल प्रभाव होता है तो हम इतने सक्षम हैं कि इस झटके को सहन कर सकें। लेकिन सामने आने वाले प्रतिकूल प्रभावों का रुपये, ब्याज दरों और शेयर बाजार में कुछ समय के लिए असर देखने को मिल सकता है।

कारगिल युद्ध के दौरान निफ्टी 3 मई से 26 जुलाई 1999 के बीच 36.6 प्रतिशत बढ़त पर था। एक साल बाद 16.6 उरी स्ट्राइक के दौरान 18-28 सितंबर 2016 के बीच निफ्टी 0.4 प्रतिशत और एक साल बाद 11.3 प्रतिशत बढ़त पर था। बालाकोट स्ट्राइक 14-26 फरवरी 2019 के बीच 0.4 प्रतिशत गिरा था और एक साल बाद 8.9 प्रतिशत की बढ़त पर था।

पाकिस्तान के साथ तनाव का अभी खास असर नहीं, तनाव बढ़ा तो 24200-23800 का स्तर होगा अहम -अनु जैन

ट्रेडर्स को चौकन्ना रहने की जरूरत

ट्रेडर्स को चौकन्ना रहने की जरूरत है। जिस तरह हालात बदलते हैं, उसमें कुछ भी हो सकता है। लेकिन अगर आप निवेशक हैं तो बेझिझक हर करेक्शन पर खरीदारी कर सकते हैं। पाकिस्तान पर पूरी दुनिया की ओर से दबाव है। वह हर बार विक्टिम कार्ड नहीं खेल सकता। उम्मीद है कि भारतीय लीडरशिप, हमारी सैनिकों की वीरता और इंटरनेशनल प्रेशर, पाकिस्तान को पीछे हटने के लिए मजबूर करेंगे। ऐसे में हर करेक्शन निवेश के लिए एक अवसर बनेगा। गिफ्टी निफ्टी में 450 पॉइंट की गिरावट आई है।

शाह की निवेशकों को सलाह है कि जो निवेशक लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहता है, वह धीरे-धीरे खरीदारी कर सकता है। मार्केट अगर बहुत नीचे चला जाए तो बेचने का मतलब नहीं है। हर करेक्शन में खरीदारी सही रहेगी क्योंकि हमारी फंडामेंटल ग्रोथ स्टोरी आज भी अच्छी है। 1962, 1965, 1971 के बड़े युद्धों ने हमारी इकोनॉमी को पीछे नहीं धकेला। लेकिन एक झटका जरूर लगा लेकिन हम उसे कवर करके आगे चलते गए हैं। इसलिए करेक्शन में बेचने की जगह निवेश की सोचें। युद्ध का माहौल है, घटनाएं घट सकती हैं। इसलिए हमेशा सबसे बुरी संभावना को डिस्काउंट करने की कोशिश करेगा। इसलिए धीरे-धीरे निवेश करने का मन बनाइए।

अगर ये लंबी लड़ाई चली तो मार्केट में क्या होगा?

जब ये पूछा गया कि अगर ये लड़ाई लंबी चलती है तो मार्केट पर कितना असर होगा। इस सवाल के जवाब पर नीलेश शाह ने कहा, “भारत और पाकिस्तान दोनों के पास परमाणु बम है। अगर इनके बीच लड़ाई लंबी चली तो सब ये सोचेंगे कि क्या कोई देश न्यूक्लियर बम का इस्तेमाल कर सकता है क्या। इससे जो तबाही होगी वो अकल्पनीय है। अगर यह डर हावी हुआ तो शेयर मार्केट में बहुत बड़ी गिरावट आ सकती है।”

अगर बाजार गिरा तो कौन सी थीम बेस्ट बाय रहेंगी? इस पर शाह ने कहा कि पहली थीम तो डिफेंस स्टॉक हैं। डिफेंस सेक्टर को इस माहौल में शायद फायदा हो जाए। 9 मई को शायद बाकी सेक्टर गिरावट में खुलें।

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