पिछले दो महीनों में भारतीय शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। निफ्टी इंडेक्स 22,000 और 23,000 के बीच ऐसे उछल-कूद कर रहा है, जैसे कोई बेचैन बॉलीवुड हीरो एक्शन से भरपूर सीक्वेंस में फंस गया हो। कोटक अल्टरनेट एसेट मैनेजर्स की CEO- इनवेस्टमेंट एंड स्ट्रैटेजी लक्ष्मी अय्यर ने फिल्मी अंदाज में शेयर बाजार में हो रही चीजों को समझाने की कोशिश की है। उनका कहना है कि बाजार में पूरी तरह से ‘हलचल’ मची हुई है। हालांकि, उन्होंने निवेशकों को एक एसेट क्लास को पूरी तरह से छोड़कर दूसरे को अपनाने की सलाह नहीं दी।
मनीकंट्रोल के ग्लोबल वेल्थ समिट 2025 के दौरान अय्यर ने कहा, ‘अभी, सेंटिमेंट एक एसेट क्लास से दूसरे एसेट क्लास में जाने की ओर झुका हुआ है। लेकिन सिर्फ इसलिए कि हमारा हालिया पूर्वाग्रह यानि प्रीकंसेप्शन हमें सुरक्षित विकल्पों की ओर धकेलता है, इसका मतलब यह नहीं है कि हमें एक एसेट क्लास से पूरी तरह से बाहर निकल जाना चाहिए।”
बाजार के उतार-चढ़ाव को अनदेखा नहीं कर सकते
साल 2025 को अय्यर ने “सांप और सीढ़ी का साल” करार दिया है, और भविष्यवाणी की है कि बाजार इस शरारती बोर्ड गेम की तरह निवेशकों के साथ खेलना जारी रखेगा। सांप और सीढ़ी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “कल्पना करें कि एक निवेशक 98 तक चढ़ता है, उसे भरोसा है कि वह फिनिश लाइन पार करने वाला है, लेकिन फिर 15 या 18 तक नीचे गिर जाता है और उसे फिर से शुरुआत करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह इस बाजार की प्रकृति है; हम इसके उतार-चढ़ाव को अनदेखा नहीं कर सकते। एक पल में ‘गली बॉय’, ‘जवान’ में बदल रहे हैं, अगले ही पल ‘जवान’, ‘3 इडियट्स’ में बदल जाते हैं, और इससे पहले कि आप कुछ समझ पाएं, एक ‘डीपसीक’ मोमेंट आता है और एनवीडिया कहता है ‘कोई मिल गया’।”
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पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन महत्वपूर्ण
यह पूछे जाने पर कि क्या निवेशकों को केवल इक्विटी पर फोकस करना चाहिए, अय्यर ने कहा कि अगर लक्ष्य 100 रुपये को दोगुना कर 200 रुपये करना है तो इक्विटी टिकट हो सकता है। हालांकि, इस तरह के अनप्रिडिक्टेबल (जिसके बारे में अनुमान न लगाया जा सके) बाजार में, पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन महत्वपूर्ण है। जैसे कि इक्विटी के अलावा सोने, फिक्स्ड इनकम और अल्टरनेटिव एसेट्स में भी कुछ निवेश रखना।
अय्यर ने समझाया, “आप अपने सभी अंडे एक टोकरी में नहीं रख सकते। सोना ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ रहा है और इस साल और अगले साल भी इसका सीक्वल आ सकता है। लेकिन क्या आप केवल सोने पर भरोसा कर सकते हैं? बिल्कुल नहीं। अगर आप 100 रुपये से 200 रुपये तक का लक्ष्य रखते हैं, तो क्राउन अभी भी इक्विटी के सिर ही है। दूसरी ओर, सोना पोर्टफोलियो प्रोटेक्टर की भूमिका निभाता है- इसे संतुलन बनाए रखने वाले ‘विष्णु’ के रूप में देखें। और सवाल रहा फिक्स्ड इनकम का? यह आपकी सिंड्रेला स्टोरी है। यह वह अंडरडॉग है, जो चुपचाप सोने को भी मात देती है। जब आप कम से कम उम्मीद करते हैं, तब यह अपनी कीमत साबित करती है।”
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