south korea a district court cancelled the arrest warrant of impeached president yoon suk yeol | द कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति को कोर्ट से राहत, वकील ने की रिहाई की मांग तो जज बोले

South Korea’s Former President : रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया की एक कोर्ट ने शुक्रवार (7 मार्च) को महाभियोग का सामना कर रहे देश के राष्ट्रपति यून सुक योल की गिरफ्तारी वारंट को रद्द कर दिया. कोर्ट के इस फैसले से यून सुक योल के जेल से रिहा होने का रास्ता साफ कर दिया है. हालांकि, यून सुक पर अब भी मार्शल लॉ लागू करने से जुड़े विद्रोह के मामले में मुकदमें चल रहे हैं.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सियोल सेंट्रल डिस्ट्रिक कोर्ट ने अपने एक बयान में कहा, “कोर्ट ने यह फैसला अभियोग लगाने के समय के आधार पर दिया था, जो उन्हें हिरासत में रखने के दिए गए समय के खत्म होने के बाद आया. इसके अलावा कोर्ट यह फैसला मामले की दो अलग-अलग एजेंसियों की ओर से की जा रही जांच की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए.”

कोर्ट के आपराधिक आरोपों को नहीं किया खारिज

हालांकि, कोर्ट ने अपने फैसले में यून की गिरफ्तारी के कारण बने आपराधिक आरोपों को रद्द नहीं किया है. यह मामला महाभियोग से संबंधित नहीं है और इसका कार्यवाही संवैधानिक कोर्ट में अभी भी लंबित है.

कोर्ट ने कहा, “ये दोनों हीं घटनाएं 3 दिसंबर, 2024 को मार्शल लॉ की घोषणा करने के बाद हुईं, जो देश में अस्थायी राष्ट्रपति के रूप कार्यभार संभालने वाले प्रधानमंत्री के महाभियोग के कारण भी बना.”

फिलहाल, दक्षिण कोरिया की वित्त मंत्री चोई सांग-मोक फिलहाल देश में अस्थायी रूप से राज्य की प्रमुख हैं और उन्होंने सरकारी लीडरशिप में अव्यवस्था के बीच इकोनॉमिक बाजारों को स्थिर करने और अंतरराष्ट्रीय पार्टनरों को आश्वस्त करने की कोशिश की है.

यून के वकील ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

यून के वकीलों और उनके राष्ट्रपति कार्यालय ने जिला कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा, “इस फैसले से स्पष्ट होता है कि यून के खिलाफ बिना कानूनी आधार के राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए मामला चलाया गया था.” यून के वकीलों ने एक बयान में कहा, “कोर्ट का यह फैसला दिखाता है कि इस देश में कानून का शासन अभी भी जिंदा है”

इसके बाद यून के वकीलों ने उनकी तत्काल रिहाई की मांग की. हालांकि, उनका मानना था कि यून को तुरंत रिहा नहीं किया जा सकता क्योंकि अभियोजकों की ओर से इस फैसले पर अपील की जा सकती है. लेकिन अभियोजक कार्यालय ने कोर्ट के फैसले पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की.

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