Women’s Day Special: मैटरनिटी लीव है हर महिला का अधिकार, जानें प्रेग्नेंसी में कब और कितने दिन की मिलती है छुट्टी?

महिला दिवस विशेष:
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महिला दिवस विशेष

हर साल 8 मार्च महिला दिवस मनाया जाता है। घर से लेकर बाहर तक महिलाओं ने खूब नाम रोशन किया है। महिलाओं ने पुरुषों के साथ साथ कदम से कदम मिलाकर नौकरी पेशा में भी अपना लोहा मनवाया है। नौकरी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से उनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मैटरनिटी लीव बे‍नेफिट्स पास किया गया। लेकिन आज भी महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं या उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। बता दें, साल 1961 में कामकाजी महिलाओं के लिए मैटरनिटी बेनेफिट एक्‍ट पास किया गया जिसका लक्ष्‍य मैटरनिटी लाभ देना था। चलिए, जानते हैं मैटरनिटी में महिलाओं को कितने दिन की छुट्टी मिलती है और अन्य क्या सुविधा दी जाती है?

क्या है मैटरनिटी एक्ट? 

देश में कामकाजी मह‍िलाओं की सुरक्षा और सुव‍िधा को ध्‍यान में रखकर मैटरनिटी एक्ट पास किया गया। मैटरनिटी बेनेफिट प्रत्येक बड़े प्रतिष्ठान, या फिर छोटी बड़ी कंपनी हर किसी पर लागू होता है। इस एक्ट में प्रेग्नेंट हुई कामकाजी महिलाओं को कई महीनों का अवकाश दिया जाता है। ताकि वह उस दौरान अपना और अपने बच्चे का ख़ास ख्याल रख सके। यदि कोई महिला 3 महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेती है, तो उसे भी यह लीव दी जाती है।

लीव की अवध‍ि क‍ितने दिन की होती है?

भारत में 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश देने का प्रावधान है, जो बच्चे के जन्म से पहले और बाद में लिया जा सकता है। इस अधिनियन के तहत महिलाएं डिलीवरी से आठ हफ्ते पहले और उसके बाद इस अवकाश का इस्तेमाल कर सकती हैं। किसी भी कंपनी में यह प्रावधान सिर्फ 2 बच्चों तक ही सिमित है। जो महिलाएं तीसरे बच्चे को जन्म दे रही हैं वो डिलीवरी से 6 हफ्ते पहले और 6 हफ्ते बाद छुट्टी ले सकती हैं। किसी भी महिला को उसके प्रसव के छह सप्ताह के दौरान काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा

लीव के दौरान कितना वेतन मिलता है?

महिलाओं को मातृत्व अवकाश के दौरान कंपनी नियमित रूप से पैसों का भुगतान करती है। यानि महिलाओं को उनकी पूरी सैलरी दी जाती है। मातृत्व अवकाश शुरु होने से लेकर खत्‍म होने तक यह सैलरी दी जाती है।

मिसकैरेज में मैटरनिटी लीव

गर्भपात करवाने पर गर्भपात की तारीख से छह सप्ताह के लिए महिला मैटरनिटी लीव ले सकती है। यदि कोई भी कंपनी इस एक्‍ट के अंदर महिला को उसकी सैलरी देने से मना करती है, तो उसे कानून की ओर से सजा दी जा सकती है। इसमें 5,000 के जुर्माना या एक साल की सजा या दोनों का प्रावधान है।

 

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