Delhi LG Vinai Kumar saxena opposes Medha Patkar petiton Saket Court reserves decision on defamation case 

Delhi Latest News: सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर द्वारा दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ साल 2000 में दायर मानहानि के मामले में साकेत कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. अब इस मसले पर साकेत कोर्ट 18 मार्च को अपना फैसला सुनाएगी. दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना के वकील ने अदालत में याचिका का कड़ा विरोध किया. साथ ही अदालत से कहा कि इसका मकसद मुकदमे में देरी करना है.

सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच साल साल 2000 से मानहानि के मामले में कानूनी जंग जारी है. इस मामले में मेधा पाटकर ने अदालत से नया गवाह पेश ( नंदिता नारायण) को पेश करने के लिए साकेत कोर्ट में इजाजत मांगी थी. इस मसले पर उनकी ओर से पेश याचिका पर गुरुवार को साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मसले पर एलजी ने उनकी याचिका का अदालत में विरोध किया.  

 नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने 17 फरवरी को साकेत कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी शिकायत के समर्थन में एक अतिरिक्त गवाह नंदिता नारायण से पूछताछ करने की इजाजत मांगी थी. उन्होंने अदालत से कहा कि वह मौजूदा मामले के तथ्यों से संबंधित हैं. 

इस मामले में एलजी वीके सेक्सना की तरफ से पेश वकील ने मेधा पाटकर के तरफ से दाखिल याचिका का विरोध करते हुए कहा कि न्यायिक कार्यवाही में देरी करने और न्याय के उद्देश्यों को विफल करने के लिए इसे 24 साल बाद और देरी से दायर किया गया है. कोर्ट में वकील ने कहा कि 15 दिसंबर, 2000 को मेधा पाटकर द्वारा दायर किया गया मामला 2011 से शिकायतकर्ता के साक्ष्य को लेकर अदालत में लंबित था. उन्होंने दलील दी कि मेधा पाटकर ने पहले ही अपने गवाहों से पूछताछ कर ली है. उनके सभी गवाहों से जिरह की जा चुकी है.

क्या है पूरा विवाद? 

मेधा पाटकर और दिल्ली एलजी वीके सक्सेना के बीच साल 2000 से कानूनी लड़ाई चल रही है. उस समय मेधा पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. एलजी वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद में स्थित एक NGO काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे. वी के सक्सेना ने साल 2001 में एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और अपमानजनक बयान जारी करने के लिए मेधा पाटकर के खिलाफ दो मामले भी दर्ज कराए थे. 

 

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