इक्विटी डेरिवेटिव्स में रिस्क मैनेजमेंट के लिए SEBI का नया प्रस्ताव, ओपन इंटरेस्ट के कैलकुलेशन का तरीका बदला

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में जोखिम प्रबंधन को और मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव दिया है. इन प्रस्तावों का उद्देश्य डेरिवेटिव मार्केट में पारदर्शिता बढ़ाना, निवेशकों को अधिक सुरक्षित माहौल प्रदान करना और बाजार में संभावित गड़बड़ियों को रोकना है.

ओपन इंटरेस्ट मापने के तरीके में बदलाव

अभी तक डेरिवेटिव्स में ओपन इंटरेस्ट (OI) को नोशनल वैल्यू के आधार पर मापा जाता था, लेकिन सेबी अब इसे फ्यूचर इक्विवेलेंट (FutEq) के आधार पर मापने का प्रस्ताव कर रहा है. वर्तमान व्यवस्था में किसी भी स्तर पर ओपन इंटरेस्ट को बढ़ाकर शेयर को बैन पीरियड में लाने की संभावना बनी रहती है, लेकिन FutEq आधारित नई प्रणाली से यह नियंत्रित किया जा सकेगा.

प्री-ओपन और पोस्ट-क्लोजिंग सेशन का प्रस्ताव

सेबी ने इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में प्री-ओपन और पोस्ट-क्लोजिंग सेशन जोड़ने का सुझाव दिया है. यह कदम ट्रेडिंग को अधिक स्थिरता देने और मूल्य खोज की प्रक्रिया को सुधारने में मदद करेगा. डेरिवेटिव पोजीशन को कैश मार्केट वॉल्यूम से जोड़ा जाएगा. सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि डेरिवेटिव पोजीशन को कैश मार्केट के ट्रेडिंग वॉल्यूम से लिंक किया जाए. इससे यह सुनिश्चित होगा कि डेरिवेटिव्स में ली जाने वाली पोजीशन्स कैश मार्केट की लिक्विडिटी और ट्रेडिंग एक्टिविटी के अनुरूप रहें.

मार्केट वाइड पोजीशन लिमिट (MWPL) में बदलाव

MWPL के लिए नया फॉर्मूला लागू करने का प्रस्ताव है. अब इसे फ्री फ्लोट शेयरों के 15% या कैश मार्केट वॉल्यूम के 60 गुना तक सीमित किया जाएगा. इससे बड़े स्तर पर गड़बड़ी करने की संभावनाओं को रोका जा सकेगा. 

बैन पीरियड में भी सीमित पोजीशन क्रिएशन की अनुमति

प्रस्ताव के अनुसार, यदि कोई नई पोजीशन जोखिम घटाने के लिए ली जा रही है, तो बैन पीरियड में भी उसे अनुमति दी जा सकती है. उदाहरण के लिए, यदि किसी के पास लॉन्ग फ्यूचर पोजीशन है, तो उसे पुट ऑप्शन खरीदने या कॉल ऑप्शन बेचने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि जोखिम को कम किया जा सके.

सिंगल स्टॉक में इंट्राडे पोजीशन की सख्त निगरानी

क्लियरिंग कॉर्पोरेशन अब दिन में चार बार इंट्राडे पोजीशन की निगरानी करेगा. इससे बाजार में अस्थिरता और गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने में मदद मिलेगी. 

MF और AIF के वायदा एक्सपोजर की गणना बदलेगी

म्यूचुअल फंड (MF) और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIF) के डेरिवेटिव एक्सपोजर की गणना के मौजूदा तरीके को बदलने का प्रस्ताव दिया गया है. ऑप्शंस की पोजीशन की गणना FutEq के आधार पर होगी. अभी ऑप्शंस में शॉर्ट और लॉन्ग पोजीशन की गणना प्रीमियम वैल्यू पर की जाती है, लेकिन सेबी ने इसे बदलकर FutEq के आधार पर मापने का सुझाव दिया है.

इंडेक्स फ्यूचर्स की लिमिट बढ़ाने का प्रस्ताव

EoD (End of Day) लिमिट को 500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया है. वहीं, इंट्राडे लिमिट को 2,500 करोड़ रुपये करने का भी सुझाव दिया गया है. 

नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स पर वायदा शुरू करने के नियमों में बदलाव

प्रस्ताव के अनुसार, किसी भी इंडेक्स में कम से कम 14 शेयर होने चाहिए. इसके अलावा, सबसे बड़े शेयर का वेटेज 20% से अधिक नहीं होना चाहिए और शीर्ष 3 शेयरों का संयुक्त वेटेज 45% से ज्यादा नहीं होना चाहिए. 

सिंगल स्टॉक पोजीशन लिमिट में बदलाव

इंडिविजुअल लेवल पर पोजीशन कंसंट्रेशन घटाने के लिए नए कदम उठाए जाएंगे. नए प्रस्ताव के तहत कम ओपन इंटरेस्ट लेकिन ज्यादा MWPL होने की स्थिति में गड़बड़ी की संभावना को रोका जाएगा.

नए लिमिटिंग नियम

अब MWPL और FutEq OI दोनों को ध्यान में रखकर लिमिट तय की जाएगी. क्लाइंट/प्रॉप ट्रेडिंग/NRI के लिए – MWPL का 5% या FutEq OI का 20%, इनमें से जो भी कम होगा, उसे लागू किया जाएगा. ब्रोकर क्लाइंट/प्रॉप ट्रेडिंग, म्यूचुअल फंड्स के लिए – MWPL का 20% या FutEq OI का 30%, इनमें से जो भी कम होगा, वही सीमा होगी.

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