भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट का दौर जारी है. 31 जनवरी के बाद से भारतीय शेयरों के कुल 26 लाख करोड़ रुपए (लगभग 306 अरब डॉलर) की गिरावट आई है. अगर इसमें जनवरी महीने का भी काउंट कर लिया जाए तो ये कुल मिलाकर 45 लाख करोड़ रुपए (520 अरब डॉलर) तक पहुंच जाएगा. यह गिरावट भारतीय बाजार के मार्केट कैप का 10% से अधिक है, इससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा है. आप इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि इस साल जितना नुकसान भारतीय बाजार में देखा गया है. वह भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की कुल जीडीपी से काफी अधिक है.
पाकिस्तान की GDP से भी ज्यादा का नुकसान
आईएमएफ के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2025 में 393 अरब डॉलर रहने का अनुमान है. इसके विपरीत, भारत के शेयर बाजार का कुल मार्केट कैप 2024 के अंत में 443.47 लाख करोड़ रुपए था, जो अब 45 लाख करोड़ रुपए घटकर 398.46 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है. डॉलर में यह गिरावट लगभग 520 अरब डॉलर की है, जो पाकिस्तान की अनुमानित GDP से अधिक है.
क्यों गिर रहा बाजार?
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति – अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती नहीं करता है, तो उभरते बाजारों से निवेशकों का कैपिटल निकलकर अमेरिकी बॉन्ड मार्केट में जा सकती है.
- डॉलर की मजबूती – डॉलर इंडेक्स मजबूत बना हुआ है, जिससे विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकालकर सुरक्षित एसेट्स में निवेश कर रहे हैं.
- चीन में निवेश बढ़ना – चीन की सरकार ने आर्थिक संकट से उबरने के लिए नए राहत पैकेज और निवेश को आकर्षित करने वाले फैसले लिए हैं, जिससे निवेशक चीन के बाजार में वापसी कर रहे हैं.
- भारतीय बाजार में हाई वैल्यूएशन – भारतीय शेयर बाजार ग्लोबल लेवल पर महंगा माना जा रहा है, जिसके कारण निवेशक इसे अधिक जोखिम वाला मान रहे हैं.
आगे क्या होगा?
Citi ने 2025 के अंत तक निफ्टी के 26,000 तक पहुंचने का अनुमान लगाया है, जो मौजूदा स्तर से लगभग 14% की बढ़त है. साथ ही, 2025 में भारत की रियल GDP ग्रोथ 6.5% तक पहुंचने की उम्मीद जताई गई है. ब्रोकरेज का कहना है कि बैंकिंग, इंश्योरेंस, फार्मा और टेलीकॉम सेक्टर पर ओवरवेट नजरिया है. यहां पर तेजी देखने को मिल सकती है. वहीं, आईटी सेक्टर, मेटल सेक्टर और कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी (लक्जरी और गैर-आवश्यक उपभोक्ता वस्तुएं) सेक्टर में धीमापन आ सकता है.
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