Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर शिवालयों के दर्शन करने की परंपरा पुरानी है. देश भर के सभी शिलालयों में देवों के देव महादेव पिंडी रूप में विराजमान है और लगभग सभी शिवालयों में एक ही पिंडी विराजमान है जिनके दर्शन का लाभ भक्त लेते है. भगवान शिव की महिमा का उल्लेख सभी शिलालयों में है और देवों के देव महादेव के भक्त पिंडी रूप में भगवान शिव के दर्शन करते है. पर क्या आपने ऐसे शिवालय के दर्शन किए जहां एक नहीं बल्कि दो शिवलिंग एक साथ एक ही स्थान पर विराजमान है, एक साथ दो शिवलिंग भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर रही है.
यमुना नदी के किनारे स्थापित यह मंदिर देश में इकलौता ऐसा मंदिर है जहां एक साथ दो शिवलिंग के दर्शन का लाभ मिलता है. यमुना नदी किनारे से सटे हुए इस मंदिर का विशेष महत्व है. इस मंदिर में आने वाले शिव भक्तों की मनोकामनाओं को भगवान शिव पूरी करते है. इस मंदिर का नाम प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर और यह मंदिर आगरा के सिकंदरा क्षेत्र के कैलाश गांव में विराजमान है.
प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर का अपना प्राचीन इतिहास है. बताया जाता है कि कैलाश महादेव मंदिरा में विराजमान दो शिवलिंग का इतिहास भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ है. कैलाश महादेव मंदिर में विराजमान दो शिवलिंग को भगवान परशुराम और उनके पिता से जुड़ा हुआ है. कैलाश महादेव मंदिर के महंत गौरव गिरी ने बताया कि कैलाश मंदिर का इतिहास दस हजार वर्षों से भी पुराना है और यह एक दुर्लभ संयोग है जब दो शिवलिंग एक साथ विराजमान है.
भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि कैलाश पर्वत पर तप करने गए थे और वर्षों तक कठित तपस्या की, तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने वरदान मांगने को कहा तो भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने भगवान शिव से अपने साथ चलने और हमेशा साथ रहने की मांग तो भगवान शिव ने दोनों को एक एक शिवलिंग भेंट स्वरूप दिया.
दोनो शिवलिंग को लेकर भगवान परशुराम और उनके पिता वापस आ गए और रेणुका धाम पहुंचने से पहले इसी स्थान पर रात्रि विश्राम किया और सुबह यमुना स्नान करने के बाद फिर से शिवलिंग को उठाना चाहा पर दोनों शिवलिंग यहां स्थापित हो चुके थे, जिसके बाद भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने दोनों शिवलिंग की पूजा अर्चना की और यही स्थापना कर दी, तब से इस स्थल का नाम कैलाश महादेव मंदिर पड़ गया.
आगरा के प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर पर महाशिव रात्रि पर विशेष आयोजन होते है, महाशिव रात्रि पर मंदिर को भव्य सजाया जाता है. महाशिव रात्रि के पावन अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन को पहुंचते है और भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते है. श्रावण माह के तीसरे सोमवार पर कैलाश महादेव मंदिर पर विशाल मेला लगता है और यह पहला मौका होता है जब कैलाश मंदिर मेला के अवसर पर स्थानीय छुट्टी रहती है.
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