भारत से लेकर अमेरिका और ब्रिटेन तक… मार्केट में जारी तबाही के बीच बाजी मार गया ये चौथा मुल्क Indian Stock Exchange: निफ्टी ने महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल को तोड़ दिया है, जिससे मंदी की स्थिति और गहरा सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बिकवाली के दौर में किस देश का बाजार तेजी से रफ्तार भर रहा है. और रफ्तार की इस रेस में अमेरिका और यूके के बाजार कहां खड़े हैं.  एप में देखें

भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को भी बिकवाली का दबाव बना रहा, जिससे निफ्टी मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में गिरावट देखने को मिली. निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 324.70 अंक या 0.65 प्रतिशत की गिरावट के साथ 49,688.40 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 95.10 अंक या 0.61 प्रतिशत गिरकर 15,382.20 पर था. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, निफ्टी ने महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल को तोड़ दिया है, जिससे मंदी की स्थिति और गहरा सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बिकवाली के दौर में किस देश का बाजार तेजी से रफ्तार भर रहा है. और रफ्तार की इस रेस में अमेरिका और यूके के बाजार कहां खड़े हैं. 

बाजार में बढ़ रही कमजोरी

पीएल कैपिटल के प्रमुख सलाहकार विक्रम कासट के अनुसार, निफ्टी का लोअर लेवल 22,100  पर है. यदि यह लेवल भी टूटता है, तो निफ्टी में गिरावट तेज हो सकती है. वहीं, 22,820 एक महत्वपूर्ण रेजिस्टेंस लेवल है, जो ट्रेंड रिवर्सल का भी संकेत देगा. इसका मतलब यह है कि जब तक निफ्टी इस लेवल को पार नहीं करता, बाजार में मजबूत रिकवरी की उम्मीद कम रहेगी. चॉइस ब्रोकिंग के हार्दिक मटालिया का कहना है कि मौजूदा बाजार की स्पीड को देखते हुए, व्यापारियों को नई खरीदारी से पहले क्रिटिकल लेवल पर प्राइस एक्शन कन्फर्मेशन का इंतजार करना चाहिए. इससे साफ संकेत मिलता है कि बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है और निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है.  

ग्लोबल इंडेक्स की तुलना में भारतीय बाजार कमजोर  

  • HK50 (हॉन्गकॉन्ग) इंडेक्स: 15.72% YTD रिटर्न  
  • MOEX (रूस) इंडेक्स: 14.59% YTD रिटर्न  
  • GB100 (यूके) इंडेक्स: 5.95% YTD रिटर्न  
  • US30 (अमेरिका) इंडेक्स: 2.47% YTD रिटर्न  
  • SENSEX (इंडिया) इंडेक्स: -4.72% YTD रिटर्न  

क्यों गिर रहा इंडियन मार्केट?

अमेरिका में महंगाई और फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति का प्रभाव भारतीय बाजार पर भी दिख रहा है. विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे बाजार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. कुछ प्रमुख कंपनियों की क्वार्टरली रिपोर्ट उम्मीद से कमजोर रही हैं, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ी है. बाजार को उम्मीद थी कि आरबीआई और फेडरल रिजर्व जल्द ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं, लेकिन अब इसमें देरी होने की संभावना है.  

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