apple reclaimed sold 7000 lisa computers and crushed them reason not known yet

सन 1989 में Apple ने अपने 7,000 Lisa कंप्यूटर्स को नष्ट कर दिया था. यह एक ऐसी घटना है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. बॉब कुक नाम के एक रीसेलर ने इन्हें बचाने की कोशिश की थी, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए. Lisa कंप्यूटर्स अपने समय के हिसाब से काफी एडवांस थे. आइए जानते हैं कि इन्हें कब लॉन्च किया गया और क्यों ऐपल ने इन्हें नष्ट करने का फैसला लिया.

1983 में लॉन्च हुए थे Lisa कंप्यूटर्स

Lisa कंप्यूटर्स 1983 में लॉन्च हुए थे और ये उस समय ग्राफिकल यूजर इंटरफेस और माउस के साथ आने वाले शुरुआती कंप्यूटरों में से एक थे. उस समय इन कंप्यूटर्स की कीमत 9,995 डॉलर (लगभग 8.66 लाख भारतीय रुपये) थी. इस वजह से यह अधिकतर ग्राहकों की पहुंच से बाहर था. टेक्नोलॉजिकल रूप से काफी एडवांस होने के बाद भी अपने कॉम्पैक्ट डिजाइन के साथ इनमें हीटिंग और बार-बार क्रैश होने जैसी दिक्कतें आ रही थीं. इस वजह से ये सफल नहीं हो पाए और कंपनी ने अपना फोकस Macintosh पर शिफ्ट कर लिया. 

बॉब कुक ने खरीदे हजारों कंप्यूटर

Macintosh लॉन्च होने के बाद Lisa कंप्यूटर्स वेयरहाउस में धूल खा रहे थे. उसी समय सन रिमार्केटिंग के फाउंडर बॉब कुक ने इन  कंप्यूटर्स में संभावना देखते हुए ऐपल से डिस्काउंट पर 7,000 Lisa कंप्यूटर खरीद लिए. वो इन कंप्यूटर को रिपेयर और अपग्रेड कर रीसेल करना चाहते थे. उन्होंने कुछ पैसे निवेश कर इन्हें बेहतर बनाया और Lisa Professional नाम से इन कंप्यूटर को रीसेल करने लगे. उनकी कोशिश रंग लाई और उनके कंप्यूटर रीसेल होने लगे.

ऐपल ने वापस ले लिए कंप्यूटर

सितंबर, 1989 में ऐपल ने इन कंप्यूटर्स को रीक्लेम करते हुए कुक को तुरंत सारी यूनिट्स वापस लौटाने को कहा. इसके लिए उन्हें कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया. कुछ हफ्तों बाद ऐपल ने कुक के वेयरहाउस से सारे कंप्यूटर उठाए और उन्हें ले जाकर नष्ट कर दिया गया. इस तरह इन कंप्यूटर्स का अस्तित्व समाप्त कर दिया गया.

ऐपल ने नहीं बताए कारण

ऐपल ने अपने इस फैसले के कारण कभी सामने नहीं रखे. कुछ लोग मानते हैं कि ऐपल अपनी इमेज बचानी चाहती थी. उसे डर था कि जिस प्रोडक्ट को वह नहीं बेच पाई, उसकी सैकंड-हैंड बिक्री उसकी इमेज खराब कर सकती है. दूसरी थ्योरी यह है कि ऐपल अपने सारे प्रोडक्ट्स को कॉर्पोरेट कंट्रोल में रखना चाहती है. कुछ लोग यह भी मानते हैं कि स्टीव जॉब्स खुद इस प्रोजेक्ट से नाखुश थे और वो इसके सारे निशान मिटा देना चाहते थे.

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