Video: ओडिशा के समुद्र तट पर 6.82 लाख से ज्यादा कछुओं ने दिए अंडे, जानें क्यों खास हैं ओलिव रिडले टर्टल्स

Endangered Olive Ridley Turtles At Odisha Beach: ओडिशा के समुद्र तट (Odisha Beach) पर इस बार रिकॉर्ड संख्या में ओलिव रिडले कछुए पहुंचे हैं। ये कछुए भारत में संकटग्रस्त (Endangered ) माने जाते हैं। इन कछुओं को भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची-1 में रखा गया है। इसका मतलब यह होता है कि इस सूची में शामिल किसी जंतु को नुकसान पहुंचाने या मारने पर भारी जुर्माना भरना पड़ेगा। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि ओडिशा के गंजम जिले में रुशिकुल्या नदी (Rushikulya River) का मुहाना लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं के लिए एक प्रमुख आश्रय स्थल बन गया है। यहां 6.82 लाख से अधिक ऐसी समुद्री प्रजातियां सामूहिक रूप से अंडे (Mass Nesting) देने के लिए इकट्ठा होती हैं। उन्होंंने बताया कि रुशिकुल्या नदी के मुहाने पर कछुओं का मास नेस्टिंग (बड़ी संख्या में कछुओं या पक्षियों का एक साथ घोंसला बनाना) 16 फरवरी को शुरू हुआ था।

प्रकृति का अद्भुत नजारा

आईएएस सुप्रिया साहू ने अपने एक्स पोस्ट में 19 फरवरी को इससे संबंधित एक वीडियो पोस्ट किया था। सुप्रिया साहू ने अपने पोस्ट में कहा कि ओडिशा में प्रकृति का एक अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। यहां करीब 3 लाख ओलिव रिडले कछुए (Olive Ridley Turtles) अपने सालाना मास नेस्टिंग के लिए यहां पहुंचे हैं, जिसे अरिबाडा (Arribada) के नाम से जाना जाता है। यह एक दुर्लभ घटना है। ये कछुए मरीन इकोसिस्टम (Marine Ecosystem) को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनका वापस आना एक स्वस्थ आवास का आशाजनक संकेत है।

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6.82 लाख से अधिक ओलिव रिडले कछुए पहुंचे ओडिशा

ओडिशा के बरहामपुर डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (डीएफओ) सनी खोकर ने कहा, अब तक 6.82 लाख से अधिक ओलिव रिडले कछुओं ने समुद्र तट पर अंडे दिए हैं। यह संख्या 2023 में 6.37 लाख समुद्री प्रजातियों के आने के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है। सूत्रों ने बताया कि 2023 में 23 फरवरी से 2 मार्च तक 8 दिनों के मास नेस्टिंग के दौरान कुल 6,37,008 कछुओं ने अंडे दिए थे, जबकि 2022 में 5.50 लाख कछुओं ने अंडे दिए थे। डीएफओ ने कहा कि चूंकि ओलिव रिडले का सामूहिक घोंसला बनाना अभी पूरा होना बाकी है इसलिए यह संख्या बढ़ भी सकती है।

वन विभाग कर रहा निगरानी

आईएफएस प्रवीण कुमार ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि प्रकृति की इस असाधारणता की कल्पना करें और उसका गवाह बनें। जहां लाखों ओलिव रिडले कछुए भारतीय तटों पर सामूहिक घोंसले बनाने के लिए आते हैं। यहां रुशिकुल्या नदी पर एक कछुए को वन विभाग की कड़ी निगरानी में रखा गया है।

विशेषज्ञों ने बताई यह वजह

विशेषज्ञों का कहना है कि रिकॉर्ड संख्या में ओलिव रिडले कछुओं के सामूहिक घोंसले बनाने के लिए समुद्र तट पर आने का एक बड़ा कारण अनुकूल जलवायु परिस्थितियां (Favourable climatic conditions) हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक बिवास पांडव ने कहा, ‘इस साल बेहतर जलवायु परिस्थितियों के कारण रुशिकुल्या नदी के मुहाने पर अधिक संख्या में कछुओं को अंडे देने में मदद मिली है। रुशिकुल्या नदी कछुओं के लिए एक प्रमुख आश्रय स्थल के रूप में उभर रहा है।’ जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) के वरिष्ठ वैज्ञानिक बासुदेव त्रिपाठी ने अनुमान लगाया है कि अंडे से बड़ी संख्या में बच्चे निकलेंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि समय रहते ही बड़े पैमाने पर घोंसले का निर्माण हो चुका है, इसलिए बड़ी संख्या में बच्चे निकलने की संभावना है।

330 कछुए दोबारा पहुंचे 

सुपरवाइजर के तौर पर काम कर रहे एक अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल महापात्रा ने कहा कि ZSI के वैज्ञानिकों ने अब तक 330 से अधिक ऐसे ओलिव रिडले कछुए का पता लगाया है जो दोबारा यहां पहुंचे हैं। क्योंकि इन कछुओं में 2021-23 की अवधि में जीपीएस-टैग लगाया गया था।

अंडे को बचाने कि लिए लगाई गई बाड़

खल्लीकोट के रेंज अधिकारी दिब्या शंकर बेहरा ने कहा कि सरकार ने नए क्षेत्रों में बाड़ लगा दी है, क्योंकि इस बार कछुओं ने न्यू पोडम्पेटा से प्रयागी तक लगभग 9 किलोमीटर की दूरी में घोंसला बनाया है। उन्होंने कहा कि अंडों को शिकारियों से बचाने के लिए यह बाड़ लगाई गई है। उन्होंने कहा कि हमने अंडों की सुरक्षा के लिए पूरी सावधानी बरती है। ये अंडे 45 दिनों के बाद फूट सकते हैं।

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Feb 23, 2025 18:49

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News24 हिंदी

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