डिजिटल अरेस्ट जैसे डीपफेक स्कैम्स से निपटने में मददगार हो सकता है आधार – नंदन नीलेकणी – infosys co founder nandan nilekani said aadhaar can help tackle deepfake scams like digital arrests

डीपफेक और ऑनलाइन धोखाधड़ी पर बढ़ती चिंताओं के बीच, इंफोसिस के सह-संस्थापक और अध्यक्ष नंदन नीलेकणी ( Infosys co-founder and chairman Nandan Nilekani) का मानना ​​है कि आधार (Aadhaar) इसके विरुद्ध एक सुरक्षा उपाय या सेफगार्ड के रूप में काम कर सकता है। नंदन नीलेकणी ने 21 फरवरी को नई दिल्ली में एआईएमए सत्र (AIMA session) में मनीकंट्रोल के प्रबंध संपादक नलिन मेहता (Nalin Mehta, Managing Editor, Moneycontrol) के साथ इस गंभीर और ज्वलंत समस्या पर चर्चा के दौरान ऐसा कहा।

यद्यपि डीपफेक फ्रॉड एक वैश्विक समस्या बन गए हैं लेकिन भारत को एक अनोखी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

भारत इकलौता देश जहां हो रही डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी

नीलेकणी ने कहा “भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां डिजिटल अरेस्ट नामक धोखाधड़ी हो रही है। मुझे नहीं लगता कि किसी अन्य देश में डिजिटल अरेस्ट को धोखाधड़ी या स्कैम की श्रेणी में रखा गया है।”

डिजिटल गिरफ्तारियों में, पीड़ितों को ऐसा माहौल बनाकर या फंसाकर यह विश्वास दिलाया जाता है कि उन्हें असल में अधिकारियों द्वारा ही हिरासत में लिया गया है।

आधार से होगा समस्या का समाधान

नीलेकणी ने कहा, “कुछ मायनों में आधार इस समस्या का समाधान करता है। यदि आप यह दिखाना चाहते हैं कि कोई व्यक्ति इस समय जीवित है, तो आप उसे आधार से प्रमाणित कर सकते हैं।”

इसके लिए एआई (AI) का लाभ उठाया जा सकता है। लाइवनेस जांच करके आधार बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन की पुष्टि कर सकता है।

इसके अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल के प्रभावी होने के लिए बड़ी मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है। नीलेकणी ने कहा कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) अधिनियम ऐसे मॉडल्स के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करता है।

नीलेकणी ने आगे कहा, “लोग वाजिब रूप से इस बात को लेकर चिंतित होंगे अगर उनके डेटा का उपयोग या ऐसा कुछ किया जा रहा हो। सौभाग्य से, हमारे पास एक बहुत अच्छा डीपीडीपी अधिनियम (DPDP Act) है। मुझे लगता है कि यह एआई उपयोग (AI usage) को भी नियंत्रित करेगा।”

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