Donald Trump Threat BRICS: अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव जीतने से लेकर शपथ ग्रहण और उसके बाद तक डोनाल्ड ट्रंप कई बार ब्रिक्स देशों को धमकी दे चुके हैं। उनका बार-बार ब्रिक्स देशों को धमकाना डॉलर के प्रति चिंता को दर्शाता है। दरअसल, ब्रिक्स देश (ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका) आपस में व्यापार के लिए डॉलर की बजाय नई करेंसी के इस्तेमाल पर विचार कर रहे हैं। जिससे डॉलर का वर्चस्व कमजोर होगा।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी ताजा धमकी में ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दी है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “यह विचार कि ब्रिक्स देश डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि हम खड़े होकर देख रहे हैं, समाप्त हो चुका है। हम इन शत्रुतापूर्ण प्रतीत होने वाले देशों से यह प्रतिबद्धता चाहते हैं कि वे न तो नई ब्रिक्स मुद्रा बनाएंगे, न ही शक्तिशाली अमेरिकी डॉलर के स्थान पर किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे, अन्यथा उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, और उन्हें अद्भुत अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अपनी हिस्सेदारी बेचने से मना कर देना होगा। वे किसी दूसरे बेवकूफ़ देश को ढूँढ़ सकते हैं। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में या कहीं और अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा, और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे टैरिफ़ को नमस्ते और अमेरिका को अलविदा कहना चाहिए!”
The idea that the BRICS Countries are trying to move away from the Dollar, while we stand by and watch, is OVER. We are going to require a commitment from these seemingly hostile Countries that they will neither create a new BRICS Currency, nor back any other Currency to replace…
— Donald J. Trump Posts From His Truth Social (@TrumpDailyPosts) January 31, 2025
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ट्रंप की यह धमकी भले ही ब्रिक्स देशों को डराने के लिए हो, लेकिन यह अमेरिका की बेचैनी को भी दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ब्रिक्स देश अपनी करेंसी लॉन्च करते हैं तो डॉलर के वर्चस्व को जोरदार झटका लगेगा। इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर भी काफी असर पड़ने वाला है। ब्रिक्स के सदस्य देश रूस और चीन पहले से ही डॉलर के जगह पर युआन और अन्य करेंसी में व्यापार कर रहे हैं। ऐसे में अमेरिका की 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी अन्य देशों को भी नई करेंसी के इस्तेमाल के लिए प्रेरित कर सकती है। इससे अमेरिका को ही नुकसान होगा।
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