Daily Voice: इक्विटी बाजार में सावधानी बरतने का वक्त, 2025 में ये 4 सेक्टर रहे सकते हैं फोकस में – time for caution in equity market in 2025 domestic consumer durables it capital markets and government capex linked sectors likely to gain prominence

2025 में डॉमेस्टिक कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, IT, कैपिटल मार्केट्स जैसे सेक्टर्स और सरकारी पूंजीगत व्यय से जुड़े सेक्टर्स की परफॉरमेंस पर प्रमुख रूप से फोकस रहेगा। यह बात राइट रिसर्च की फाउंडर और फंड मैनेजर सोनम श्रीवास्तव ने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में कही है। सोनम को इक्विटी बाजारों और म्यूचुअल फंड्स में 10 से अधिक वर्षों का अनुभव है। सोनम का मानना ​​है कि आगामी अर्निंग्स सेशन में, बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर लीड करेंगे। पेश हैं उनसे बातचीत के कुछ अंश…

क्या इक्विटी बाजार में सावधानी बरतने का समय आ गया है? क्या आपको लगता है कि केंद्रीय बजट के बाद ही बाजार को ठोस दिशा मिलेगी?

हां, इक्विटी बाजार में सावधानी बरतने का वक्त आ गया है। वैश्विक बाजारों में अमेरिका में बढ़ते कर्ज और डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर स्पष्टता की कमी के कारण आर्थिक और नीतिगत अनिश्चितता बहुत अधिक है। यहां तक ​​कि भारत में भी आर्थिक विकास धीमा हो गया है और महंगाई में वृद्धि के कारण दरों में कटौती में देरी हुई है।

वैश्विक और घरेलू अनिश्चितताओं के साथ, बैलेंस्ड अप्रोच बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इतिहास गवाह है कि जब पार्टिसिपेंट्स फिस्कल पॉलिसी पर स्पष्टता का इंतजार कर रहे होते हैं, तो बाजार कंसोलिडेट होते हैं या साइडवेज चलते है, खासकर केंद्रीय बजट अवधि के दौरान। हालांकि बजट दिशा प्रदान कर सकता है लेकिन ब्रॉडर ट्राजेक्टरी, वैश्विक मौद्रिक रुझानों और कमोडिटी की कीमतों जैसे बाहरी फैक्टर्स पर भी निर्भर करेगी।

2025 में इक्विटी बाजारों को लेकर आपको कौन से फैक्टर चिंतित करते हैं?

2025 के लिए प्रमुख चिंताओं में ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित करने वाले भू-राजनीतिक तनाव, पॉलिसी पर अनिश्चितता, उच्च ब्याज दरों के कारण धीमी आय वृद्धि, महंगाई का लगातार बना हुआ दबाव शामिल हैं। धीमा पूंजीगत व्यय और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें मार्जिन को और कम कर सकती हैं, खासकर फ्यूल और इंपोट पर निर्भर सेक्टर्स में। इसके अलावा, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से निवेश में अस्थिरता और कॉर्पोरेट अर्निंग्स में लगातार खराब प्रदर्शन से सेंटिमेंट पर असर पड़ सकता है।

क्या आपको उम्मीद है कि दिसंबर में यूएस फेडरल रिजर्व अपना फाइनल रेट कट करेगा?

हो सकता है कि दिसंबर में यूएस फेडरल रिजर्व की ओर से फाइनल इंट्रेस्ट रेट कट किया जाए लेकिन यह फैसला शायद उभरते आर्थिक आंकड़ों पर निर्भर करेगा। अगर महंगाई में नरमी जारी रहती है और आर्थिक विकास में और मंदी के संकेत दिखाई देते हैं, तो फेड अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने के लिए अंतिम कटौती करने का फैसला ले सकता है। हालांकि, इस बात की भी प्रबल संभावना है कि फेड पिछले दर बदलावों के कुल मिलाकर असर का आकलन करने के बाद रेट कट को रोकने का विकल्प चुन सकता है। महंगाई पर कंट्रोल को आर्थिक स्थिरता के साथ बैलेंस करना फेड का मुख्य विचार होगा।

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आपका 2025 में सेक्टर्स के मामले में अपना फोकस कहां करने का प्लान है?

2025 में डॉमेस्टिक कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, IT, कैपिटल मार्केट्स जैसे सेक्टर्स और सरकारी पूंजीगत व्यय से जुड़े सेक्टर्स को प्रमुखता मिलने की संभावना है। कंजंप्शन-ड्रिवन इंडस्ट्रीज को स्थिर मांग से फायदा हो सकता है। ग्लोबल रिकवरी के कारण IT में लगातार रुझान देखने को मिल रहा है, जबकि कैपिटल मार्केट्स में मजबूत रिटेल मैनडेट से अच्छा फ्लो जारी है। अगर सरकार इस वर्ष सुस्त रहे पूंजीगत व्यय में तेजी लाती है, तो हम इससे जुड़े सेक्टर्स में मजबूत रिकवरी देख सकते हैं।

क्या आपको लगता है कि 2025 में मेनबोर्ड और SME दोनों सेगमेंट में IPOs का साइज और संख्या 2024 से आगे निकल जाएगी?

IPO बाजार का प्रदर्शन मार्केट सेंटिमेंट और लिक्विडिटी की स्थिति पर बहुत अधिक निर्भर करेगा। वैसे तो कई IPOs के लिए ग्राउंडवर्क मजबूत लगता है, लेकिन 2024 के आंकड़ों को पार करने के लिए स्थिर मैक्रोइकोनॉमिक कंडीशंस और रिजीलिएंट इनवेस्टर एपेटाइट की जरूरत होगी। SME सेगमेंट में, डिजिटल और टेक-उन्मुख कंपनियां इनोवेशन और डिजिटाइजेशन पर चल रहे जोर को देखते हुए नेतृत्व कर सकती हैं।

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अगले महीने शुरू होने वाले तीसरी तिमाही के अर्निंग्स सेशन के दौरान किन सेक्टर्स से आय वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है?

आगामी अर्निंग्स सेशन के लिए बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर के लीड करने की उम्मीद है, जिसकी वजह हेल्दी क्रेडिट ग्रोथ और बेहतर होती एसेट क्वालिटी है। IT सर्विसेज भी रिकवरी के संकेत दे सकती हैं। इसके अलावा कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटो और ऑटो एंसिलरी सेक्टर्स त्यौहारी सीजन की मांग और इनपुट लागत में कमी से फायदा पा सकते हैं। हालांकि, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण निर्यात-संचालित उद्योग दबाव में रह सकते हैं।

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