One Nation One Election: एक देश एक चुनाव का मुद्दा इन दिनों देश में राजनीति रूप से गरमाया हुआ है. इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे लेकर विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे आरोपों को खरिज किया. केंद्र पर ये आरोप लगता है कि एक साथ चुनाव होने पर बीजेपी को इसका फायदा पहुंचेगा. इस पर केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, 2014 और 2019 में हमारे पास पीएम मोदी थे, लेकिन हम फिर भी हार गए थे. 2019 में पूरे देश में प्रचंड बहुमत मिला, लेकिन आंध्र प्रदेश में हार गए थे.
1952 में कराए गए थे एक साथ चुनाव
आज तक के एक कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “साल 1952 में देश में सभी चुनाव एक साथ कराए गए थे. 1957 में अलग-अलग तारीखों में चुनाव होने के बावजूद आठ राज्यों की विधानसभाएं भंग कर दी गई थी, ताकि एक साथ चुनाव कराए जा सकें. इसके बाद तीसरी बार भी यह प्रक्रिया अपनाई गई.” गृह मंत्री ने बताया कि यह प्रकिया तब खत्म कर दी गई जब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने केरल में सीपीआई (एम) सरकार को गिरा दिया.
‘इंदिरा गांधी ने जारी रखा सरकार गिराने का सिलसिला’
उन्होंने कहा, “इसके बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने बड़े पैमाने पर सरकार को गिराने की प्रथा अपनाई. यहां तक कि 1971 में भी सिर्फ चुनाव जीतने के लिए समय से पहले लोकसभा को भंग कर दिया गया था. यहीं से अलग-अलग चुनाव होने का सिलसिला शुरू हो गया.”
32 पार्टियों ने किया प्रस्ताव का समर्थन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार (12 दिसंबर 2024) को एक देश, एक चुनाव विधेयक को मंजूरी दी थी. इस बिल में नया अनुच्छेद 82ए पेश करने का प्रस्ताव है, जिससे लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव हो सकेंगे. एक देश, एक चुनाव पर उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता करने वाले पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का कहना है कि परामर्श प्रक्रिया के दौरान 32 राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि 15 पार्टियों ने विरोध जताया था.
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